“सच बोलकर पिटने के भावी भय और झूठ बोलकर चिठियाँ न पहुँचने की ज़िम्मेदारी के बोझ से दबा मैं सिसक रहा था” - ‘स्मृत्ति' पाठ के आधार पर सच और उत्तरदायित्व निभाने के महत्त्व को समझाइए |
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Sach bolkae petna ke bave bvy
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