Hindi, asked by ishmeet18, 11 months ago

सच्ची कला जीवन की अभिव्यक्ति है – विषय पर एक अनुच्छेद लिखें।​

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Answered by babusinghrathore7
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ANSWER

कला मानवता के हृद्य का गुण हैं। कला मानव के मस्तिष्क की अभिव्यक्ति हैं। कला के कई रूप हैं जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी अभिव्यक्ति करता हैं। कला के इतिहास पर नजर डाले तो हम पाते हैं कि कला कभी स्वन्त्रता से शुरू हुई लेकिन बहुत से बंधनो में पड़ गई। कभी यह प्रभावशाली व्यक्तियों के प्रभाव में रही तो कभी धर्म के बंधन में जकड़ गई। मध्यकाल में कला धर्म के बंधन में जकड़ी रही। पुनर्जागरण काल वास्तव मेंं कला के बंधन से मुक्त होने का काल था। इसमें सर्वप्रथम कला मुक्त हुई थी।

         इसलिए कला का सच्चा स्वरूप वह हैं जिसमें जीवन की अभिव्यक्ति हो। कला की स्वतन्त्रता आवश्यक हैं। यदि कला स्वतन्त्र हो तो उसमें जीवन की अभिव्यक्ति अवश्य होगी। यही एक सच्चे कलाकार की निशानी हैं। चाहे हम बाघ की गुफाओं की चित्रकारी देखे या अजन्ता की। चाहे खजुराहो के मंदिर देखे या शेक्सपियर की साहित्यिक रचनायें या विष्णु शर्मा का पंचतन्त्र। जब जब भी कला का विषय जीवन की अभिव्यक्ति और मानवता बना, कला का सच्चा स्वरूप निखरकर सामने आया। इसलिए हम कह सकते हैं कि सच्ची कला जीवन की अभिव्यक्ति हैं।

Answered by shailajavyas
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Answer:

                    जीवन में कला का विशेष महत्व है उसमें भी कला यदि सच्ची और जीवंत हो तो व्यक्ति के व्यक्तित्व को उभारकर दिशा प्रदान करती है । सच्ची कला समाज का एक प्रतिबिंब प्रस्तुत करती है | जिस प्रकार हम आभूषणों को सुंदरता के लिए प्रयोग करते हैं उसी तरह सच्ची कला हमारे जीवन को अभिव्यक्त करके उसका श्रृंगार करती हैं ।                 सच्ची कलाओं के द्वारा जन समुदाय में उत्साह का संचार होता है ।

                              जहाँ सच्ची एवं परंपरागत लोक कलाओं से हमारे देश के कई राज्य समृद्धशाली हुए है वही ये कलाएँ हमारे देश की प्राकृतिक संरचना, जलवायु ,भौगोलिक रूप अनेक प्रकार की व्यवस्थाओं को धारण किए हुए हैं । इनमें अनेकानेक कलाओं का समावेश है  फिर चाहे वह मूर्तिकला ,शिल्पकला, चित्रकला , गायन, वादन ,नर्तन कला या अन्य कोई भी कला हो | ये कलाएँ वास्तव में सत्य से जुड़ी हुई ही है क्योकिं इनमें हमारा गौरवशाली अतीत छिपा है जो हमें अपने मूल्यों के उत्थान पतन की गाथा सुनाकर ये उजागर करता है कि "सत्य की ही विजय होती है |" अर्थात टिकता वही है जो सत्य हो अस्तु जो अभिव्यक्त है, टिका हुआ है ,वही जीवन है | अन्ततोगत्वा  यही निष्कर्ष निकलता है कि वास्तव में सच्ची कला जीवन की अभिव्यक्ति है |

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