सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने किन विशेषताओं को आवश्यक माना है
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डॉ ० भीमराव अंबेडकर के अनुसार सच्चे लोकतंत्र के लिए जातिविहीन , समतामूलक समाज की स्थापना पर बल देना चाहिए । शिक्षा का प्रसार , सबमें भाईचारा आदि की भावना सच्चे लोकतंत्र के लिए आवश्यक शर्त है क्योंकि लोकतंत्र सिर्फ शासन पद्धति नहीं है , बल्कि सामूहिक जीवनचर्या की एक पद्धति है । अतः आवश्यक है कि सबमें एक – दूसरे के प्रति सम्मान हो ।
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लोकतन्त्र ( शाब्दिक अर्थ " लोगों का शासन " . संस्कृत में लोक , " जनता " तथा तन्त्र , " शासन " , ) या प्रजातन्त्र एक ऐसी शासन व्यवस्था और लोकतान्त्रिक राज्य दोनों के लिये प्रयुक्त होता है । यद्यपि लोकतन्त्र शब्द का प्रयोग राजनीतिक सन्दर्भ में किया जाता है . किन्तु लोकतन्त्र का सिद्धान्त दूसरे समूहों और संगठनों के लिये भी संगत है । मूलतः लोकतन्त्र भिन्न - भिन्न सिद्धान्तों के मिश्रण बनाती है । लोकतन्त्र एक ऐसी शासन प्रणाली है , जिसके अन्तर्गत जनता अपनी स्वेच्छा से निर्वाचन में आए हुए किसी भी उम्मीदवार को मत देकर अपना प्रतिनिधि चुन सकती है . तथा उसे विधायिका का सदस्य बना सकती है । लोकतन्त्र दो शब्दों से मिलकर बना है . " लोक + तन्त्र । लोक का अर्थ है जनता तथा तन्त् का अर्थ है शासन ।
डॉ ० भीमराव अंबेडकर के अनुसार सच्चे लोकतंत्र के लिए जातिविहीन . समतामूलक समाज की स्थापना पर बल देना चाहिए । शिक्षा का प्रसार सबमें भाईचारा आदि की भावना सच्चे लोकतंत्र के लिए आवश्यक शर्त है क्योंकि लोकतंत्र सिर्फ शासन पद्धति नहीं है , बल्कि सामूहिक जीवनचर्या की एक पद्धति है ।