Hindi, asked by sushmapatel44297, 12 hours ago

सच्चा मित्र -तुलसीदास जे न मित्र होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी।। निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना। जिन्हके असिमति सहज न आई। ते सठकत हठि करत मिताई। कुपथ निवारि सुपंथ चलावा। गुन प्रगटै अवगुनन्हि दुरावा।। देत लेत मन संक न धरई। बल अनुमान सदा हित करई।। बिपत्ति काल कर सतगुन नेहा। श्रुति कह संत मित्र गुन एहा। आगे कह मृदु बचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटलाई।। जाके चित्त अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहिं भलाई।। सेवक सठ नृप कृपन कुनारी। कपटी मित्र सूल सम चारी।। (इसे समझें और मित्र की पहचान करें)
Matlab in hindi​

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Answered by minjilee481
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Answer:

सच्चा मित्र -तुलसीदास जे न मित्र होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी।। निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना। जिन्हके असिमति सहज न आई। ते सठकत हठि करत मिताई। कुपथ निवारि सुपंथ चलावा। गुन प्रगटै अवगुनन्हि दुरावा।। देत लेत मन संक न धरई। बल अनुमान सदा हित करई।। बिपत्ति काल कर सतगुन नेहा। श्रुति कह संत मित्र गुन एहा। आगे कह मृदु बचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटलाई।। जाके चित्त अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहिं भलाई।। सेवक सठ नृप कृपन कुनारी। कपटी मित्र सूल सम चारी।।

Answered by bhakti7777
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Explanation:

सच्चे दोस्त के बारे मे कुछ पंक्तियां दी गयी है

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