Art, asked by lovishmusu12186, 9 months ago

सच्ची मित्रता पर अनुच्छेद ​

Answers

Answered by anshika4585
4

जीवन को बेहतर और सुखद बनाने के लिए अनेक प्रकार की वस्तुओं और व्यक्तियों की जरूरत पड़ती है। लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति मित्र होता है। मित्र की प्राप्ति होने के पश्चात जीवन बेहद सुखदायी बन जाता है।

एक सच्चे मित्र के साथ हर प्रकार की बात साझा की जा सकती है। मित्र वह व्यक्ति होता है, जो बिना किसी स्वार्थ के जरूरत पड़ने पर हमेशा सहायता करने के लिए तत्पर हो। मित्रता उन्हीं लोगों के बीच लंबे समय तक रहती है, जो लोग बिना किसी स्वार्थ के एक दूसरे की सहायता करते हैं।

साथ ही किसी भी परिस्थिति में उचित सलाह देने वाला एक सच्चा मित्र होता हैं। यह मित्रता एक प्रकार की सच्ची मित्रता कहलाती है। इस दुनिया में हजारों प्रकार के मित्र आपको मिल जाएंगे, लेकिन सच्चे मित्र को ढूंढना काफी मुश्किल है।

सच्ची मित्रता का मतलब

सच्ची मित्रता एक प्रकार का रिश्ता है, जिसका मतलब दो लोगों के बीच मित्र की भावना होना है। मित्र का मतलब यह नहीं है, कि दोनों लोग साथ में रहे और साथ में काम करें। मित्र का मतलब यह है, कि वह हर परिस्थिति में आपके साथ खड़ा रहे और आप को उचित सलाह दें।

इसे दूसरे शब्दों में आप एक दूसरे का शुभचिंतक भी कह सकते हैं। मित्रता के रिश्ते में हमेशा एक दूसरे के हित की कामना की जाती है। साथ ही साथ एक दूसरे को हर प्रकार के कार्य में बेहतर सलाह देकर उसके कार्य को सफल होने की कामना करना होता है।

मित्रता जिसमें हम सिर्फ सुख के समय की कामना नहीं कर सकते हैं। क्योंकि कई बार दुख की घड़ी में भी हमारे मित्र हमारी ढाल बन सकते हैं और सच्चा मित्र वही होता है जो दुख की घड़ी में आपके साथ ढाल बनकर खड़ा रहे।

सच्ची मित्रता करने का कोई उचित समय नहीं होता है और ना ही उचित व्यक्ति होता है। सच्ची मित्रता किसी भी समय किसी भी व्यक्ति के साथ की जा सकती है।

Answered by dhy1234
4

Answer:

सच्ची मित्रता तो भगवान द्वारा दिया गया एक वरदान होता है जिसे हमें सहेज कर रखना चाहिए। मित्रता निभाना और मित्र बनाना भी एक कला होती है एक सच्चे मित्र के लिए चेहरे पर मुस्कान, सरलता और बातों में मधुरता हि चहिये। और सच्ची मित्रता में अमीर गरीब छोटा जा फिर  बड़ा आदि बातों का कोई स्थान नहीं होता। इसलिए सच्ची मित्रता का दुनिया में एक ख़ास स्थान होता है, इसलिए हमें सच्चे मित्र के साथ कभी छल – कपट नहीं करना चाहिए बल्कि उसके साथ सच्ची मित्रता निभानी चाहिए और एक दूसरे के सुख और दुख में काम आना चाहिए, सच्ची मित्रता से ऊपर कुछ नहीं।

Similar questions