सच्चे मनुष्य में अहंकार का भाव नहीं होना चाहिए kal Pehchan kar likhiye
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अहंकार को तुच्छ प्रकार की मनुष्यता भी कहा जाता है। अनगिनत पापों को जन्म देने वाला यह अहंकार आत्म प्रशंसा के बीज से उत्पन्न होता है। खुद को सर्वोच्च मान लेने का भाव इसी से ही पैदा होता है। दूसरों पर हावी रहने की प्रवृत्ति इसी से ही पैदा होती है।
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