सच्चारित्रता पर निबंध 250 शब्द का
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चरित्र-बल हमारी प्रधान समस्या है । हमारे महान् नेता महात्मा गाँधी ने कूटनीति चातुर्य को बड़ा नहीं समझा, बुद्धि विकास को बड़ा नहीं माना, चरित्र-बल को ही महत्व दिया है । आज हमें सबसे अधिक इसी बात को सोचना है । यह चरित्र-बल भी केवल एक ही व्यक्ति का नहीं, समूचे देश का होना चाहिए ।”
चरित्र-बल की महत्ता को उजागर करने वाली ये पंक्तियाँ हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य आलोचक आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की लिखी हुई हैं । चारित्रिक शक्ति को गौरवान्वित करने बाली अंग्रेजी की इन पंक्तियों से भला कौन परिचित नहीं है-Wealth is lost, nothing is lost,
Health is lost, something is lost,
Character is lost, everything is lost.
इन पंक्तियों का अर्थ हैं- यदि धन गया, तो कुछ भी नहीं गया, यदि स्वास्थ्य गया, तो थोड़ा गया और यदि चरित्र चला गया, तो सब कुछ चला गया । इस प्रकार उपरोक्त तथ्यों से चरित्र की महत्ता स्थापित होती है भगिनी निवेदिता ने भी कहा है- ”जैसे कर्म मानव की अभिव्यक्ति है, वैसे ही जीवन चरित्र की अभिव्यक्ति है ।” ‘सत्’ और ‘चरित्र’ इन दो शब्दों के मेल से ‘सच्चरित्र’ शब्द बना है तथा इस शब्द में ‘ता’ प्रत्यय लगने से सच्चरित्रता शब्द की उत्पत्ति हुई है ।
सत् का अर्थ होता है- अच्छा एवं चरित्र का तात्पर्य है- आचरण, चाल-चलन, स्वभाव, गुण-धर्म इत्यादि । इस तरह, सच्चरित्रता का तात्पर्य है- अच्छा चाल-चलन, अच्छा स्वभाव, अच्छा व्यवहार । चूँकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ।
अत: व्यक्ति में ऐसे गुणों का होना आवश्यक है, जिनके द्वारा वह समाज में शान्तिपूर्वक रहते हुए देश की प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सके । काम, क्रोध, लोभ, मोह, सन्ताप, निर्दयता एवं ईर्ष्या जैसे- अवगुण मनुष्य के सामाजिक जीवन में अशान्ति उत्पन्न करते हैं ।
अत: ऐसे अवगुणों से युक्त व्यक्ति को दुराचारी की संज्ञा दी जाती है, जबकि इसके विपरीत निष्ठा, ईमानदारी, लगनशीलता, संयम, सहोपकारिता इत्यादि सच्चरित्रता की पहचान है । इन सबके अतिरिक्त उदारता, विनम्रता, सहिष्णुता, सत्य भाषण एवं उद्यमशीलता सच्चरित्रता की अन्य विशेषताएँ हैं । किसी व्यक्ति का सच्चरित्र होना इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वह कितना पढ़ा-लिखा है ।
एक अनपढ़ व्यक्ति भी अपने मर्यादित एवं संयमपूर्ण जीवन से सच्चरित्र की संज्ञा पा सकता है, जबकि एक उच्च शिक्षित व्यक्ति भी यदि भ्रष्टाचार में लिप्त हो, तो उसे दुश्चरित्र ही कहा जाएगा ।
प्रायः देखने में आता है कि कुछ लोग गरीबों का शोषण ही नहीं करते, बल्कि अपने धन, शक्ति या प्रभाव के अभिमान में चूर होकर उन पर कई प्रकार के जुल्म भी करने से नहीं चूकते । ऐसे लोग ही दुराचारी या दुश्चरित्र की श्रेणी में आते हैं ।
महात्मा गाँधी ने सच्चरित्रता के बल पर ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने में कामयाबी पाई । महापुरुषों का जीवन उनकी सच्चरित्रता के कारण ही हमारे लिए प्रेरक एवं अनुकरणीय होता है ।
एक सदाचारी व्यक्ति को समाज में सर्वत्र प्रतिष्ठा प्राप्त होती है, जबकि एक दुराचारी व्यक्ति सर्वत्र निन्दा का पात्र बनता है । देश को भ्रष्टाचारमुक्त रखने में सदाचारियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है ।
कोई भी देश, जिसके नागरिक भ्रष्ट एवं दुराचारी हों, उसकी प्रगति ठीक से नहीं हो सकती । अत: देश की सही एवं निरन्तर प्रगति के लिए यह आवश्यक है कि उसके नागरिक सच्चरित्र हों ।