'सच्चा साहस व सच्ची बहादुरी लोगों की रक्षा और उनकी सहायता करने में है?' अपने विचार
लिखिए।
Answers
Explanation:
अदम्य साहस, बहादुरी, विवेक, हाजिर जवाब और कुशल नेतृत्वकर्ता जैसे विशेषणों को किसी एक व्यक्ति के रूप में देखें तो जो तस्वीर बन कर आती है वह है फील्ड मार्शल होर्मूसजी जमशेदजी मानेकशॉ। यह भारतीय सेना के अध्यक्ष रहे सैम मानेकशॉ का कुशल नेतृत्व ही था, जिसके बूते भारत ने सन् 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त किया और परिणामस्वरूप ग्लोब पर एक एक और राष्ट्र का उदय हुआ जिसे हम बांग्लादेश के नाम से जानते हैं।
अदम्य साहस और युद्ध कौशल के लिए मशहूर, भारतीय सेना के इतिहास में स्वर्णिम दस्तखत करने वाले सबसे ज्यादा चर्चित और कुशल सैनिक कमाडर पद्म भूषण, पद्म विभूषण सैम मानेकशॉ भारत के पहले फील्ड मार्शल थे। अपने 40 साल के सैनिक जीवन में उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के अलावा चीन और पाकिस्तान के साथ हुए तीनों युद्धों में भी भाग लिया था। उनके दोस्त उन्हें प्यार से सैम बहादुर कहकर बुलाते थे।
सैम होमूसजी फ्रेम जी जमशेद जी मानेक शॉ का जन्म 3 अप्रैल 1914 को अमृतसर के एक पारसी परिवार में हुआ था। अमृतसर से ही प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने नैनीताल के शेरवुड कालेज में दाखिला लिया। वे देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच के लिए चुने गए 40 छात्रों में से एक थे। यहां से कमीशन प्राप्ति के बाद भारतीय सेना में भर्ती हुए। 1969 में उन्हें सेनाध्यक्ष बनाया गया जबकि 1973 में सैम मानेकशॉ को फील्ड मार्शल का सम्मान प्रदान किया गया।