सच्चा तीर्थ यात्री पर अनुच्छेद लिखे।
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शास्त्रों के अनुसार, तीर्थ यात्रा पर जाते समय हमेशा जप, तप और दान करना चाहिए। लोगों की मदद करना चाहिए और सच्चे मन से ईश्वर का मन में गुणगान करना चाहिए। क्योंकि तीर्थयात्रा का फल बहुत ही पुण्यदायी होता है। जो भी जातक यह कार्य नहीं करता है, वह रोग और दोष का भागी होता है।
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तीर्थयात्री का अनुभव एक सबक है कि कैसे साहस, दृढ़ता, कड़ी मेहनत और कृतज्ञता वाले लोगों ने एक शत्रुतापूर्ण नई दुनिया में एक नया घर स्थापित किया। लेकिन सामान्य कहानी पूरी तरह सटीक नहीं है। इसके अलावा, तीर्थयात्री अनुभव के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया जाता है!
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