सच्चे दोस्त के सारांश
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बचपन में मेरा एक दोस्त था , शायद अभिलाष नाम था उसका, स्कूल का दोस्त नहीं था, मोहल्ले में ही रहता था। उसकी और मेरी दोस्ती क्रिकेट की वजह से हुई। हम दोनों को ही खेलना इतना पसंद था कि अगर खेलने के लिए कोई और न मिलता तो हम दोनों ही बस खेलने लग जाते, मोहल्ले में ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां हम दोनों खेले न हों, और ऐसा कोई मौसम नहीं था जो हमको खेलने से रोक पाया हो। उसके पास एक लकड़ी का साधारण सा बैट था, यही वजह थी कि उससे मेरी दोस्ती हुई, वो बैट का मालिक था। न जाने उसके साथ खेलना कब मेरी दिनचर्या का हिस्सा बन गया, लेकिन वो कहते हैं न हर अच्छी या बुरी चीज़ का एक अंत होता है, हमारे खेलने का भी हुआ। आज कितना भी याद करूँ याद नहीं आता है, क्या वजह थी, और उससे भी बड़ी बात वो कौन सा दिन था जब मैं आखरी बार उसके साथ खेला था, क्या मैं उसके साथ उस दिन और ज्यादा खेलता अगर मुझे पता होता कि उसके साथ मैं आखरी बार खेल रहा हूँ। एक और था, नाम था विवेक कुमार सिंह मेरे साथ स्कूल में पढ़ता था सेकंड क्लास में, मेरी और उसकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि एक बार तो मैं उसका साथ देने के लिए एक एग्जाम में फेल भी हो गया था, मेरी और उसकी दोस्ती पेन पेंसिल या रबर की नहीं थी, जो उस उम्र में सुकून होता है न उसकी थी, मुस्कुराहट की थी। हम दोनों को ही लगता था कि हम एक दूसरे से अलग नहीं होंगे, पता नहीं उसके साथ आखरी दिन कौन सा था, वो दिन कब कल बन गया, कब परसों, कब साल बना और कब तीन दशक बीत गए पता ही नहीं चला, सच है वक़्त कभी रुकता नहीं है, न दोस्ती के लिए, न दुश्मनी के लिए...किसी के लिए भी नहीं। ऐसे पता नहीं कितने लोग मेरे जीवन का हिस्सा बने, पता नहीं ये लोग अब कहाँ होंगे क्या कर रहे होंगे, मैं इनको याद भी हूँ कि नहीं ।ये बात करने का कोई खास मकसद नहीं था मेरा, पहले उदाहरण में तो मैंने अपने दोस्त के नाम के आगे भी "शायद" लगा दिया लेकिन ज़रा सोचिए न जाने कितने ऐसे लोग थे आपके जीवन में जो आपका अटूट हिस्सा थे, जिनके बिना दिन पूरा नहीं होता था, और आज ज़िन्दगी पूरी रफ्तार से भागी जा रही है और आपका वो दोस्त, वो साथी अब न जाने कहाँ होगा। क्या आपने उस दोस्त के साथ बिताए हुए उस आखरी पल में कभी सोचा था कि आप उस के साथ आखरी बार बात कर रहे हैं या कई केसेस में आखरी बार देख रहे हैं और मैं उन दोस्तों या साथियों की बात कर रहा हूँ जो अब भी कहीं होंगे बस आपको खबर नहीं है। न जाने कितने ऐसे लोग होंगे इस दुनिया में जिनको आपने कभी अपना सच्चा दोस्त माना होगा, स्कूल में अलग अलग क्लास में अलग अलग बेंचेस पर न जाने कितने लोग आप की ज़िंदगी में आये होंगे और जब गए होंगे तो आपको पता भी नहीं चला होगा कि उनसे आखरी मुलाक़ात हो गयी। न जाने मुझे आज वो बहुत सारे लोग क्यूँ याद आ रहे हैं जिनको आज शायद मैं याद भी नहीं । तो आज की तारीख में जब भी आप अपने किसी दोस्त से या साथी से मिलें तो ऐसे मिलें जैसे आप उससे आखरी बार मिल रहे हों, मेरा यकीन मानिए न आप उसको कभी छोड़ पाएंगे और न वो कभी आपको छोड़ पायेगा। क्योंकि आपकी ज़िंदगी की सच्ची दौलत यही लोग हैं जिनसे कभी आपका दिल मिला था, जिसकी ज़िन्दगी आपकी ज़िंदगी से होकर गुज़री थी, आज की बारिश उन्हीं दोस्तों के नाम.......
सारांश
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Answer:
एक सच्चा मित्र हमारे जीवन का सबसे बड़ा उपहार होता है जिसे पाना कठिन होता है और एक बार मिलने के बाद उसे कभी छोड़ना नहीं चाहिए। जरूरत में एक दोस्त वास्तव में एक दोस्त है ’यह प्रसिद्ध उद्धरण पूरी तरह से सच्ची दोस्ती के अर्थ को पूरा करता है क्योंकि सच्चे दोस्त हमेशा आपके साथ खड़े होते हैं जब आप जरूरत में होते हैं। जो दोस्त सबसे करीबी, सबसे प्यारे, वफादार, वफादार और सबसे अच्छे साथी साबित होते हैं उन्हें सच्चा दोस्त कहा जाता है।
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