Hindi, asked by abhiraj4270, 1 year ago

सच्ची वीरता निबंध में वीरता के कौन कौन से प्रकार बताए गए हैं

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Answered by satyajit9009
23
in which class you are
Answered by aayush50
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सच्ची वीरता’ सरदार पूर्ण सिंह जी (1881 से 1931) द्वारा रचित है । वर्तमान पाकिस्तान के ज़िला एबटाबाद के गांव सिलहड़ में उनका जन्म हुआ था । हाईस्कूल रावलपिंडी से उत्तीर्ण की और एक छात्रवृत्ति पाकर उच्च अध्ययन के लिए जापान चले गए । लौटकर पहले वे साधु जीवन जीने लगे और बाद में गृहस्थ हुए । देहरादून में नौकरी की, कुछ समय ग्वालियर में व्यतीत किया और फिर पंजाब में खेती करने लगे । उन्होंने ‘कन्यादान’, ‘पवित्रता’, ‘आचरण की सभ्यता’, ‘मज़दूरी और प्रेम’, ‘सच्ची वीरता’ आदि कुल छः निबंध लिखे और हिंदी साहित्य में विशिष्ट स्थान प्राप्त किया । उनके सभी निबंध ‘सरदार पूर्ण सिंह के निबंध’ नामक पुस्तक में संकलित है ।
पूर्ण सिंह जी का यह निबंध बारहवीं कक्षा में (1999 – 2000) हमारे हिंदी के पाठ्यक्रम का हिस्सा था । मैं कक्षा में खाली समय में इसे पढ़ा करता था कई बार, जबकि कक्षा खाली होती थी, शिक्षक देर से आते थे या नहीं आते थे, बाकी लड़के या अपना होमवर्क कक्षा में करते थे या आपस में बातें करते थे, मैं यह निबंध पढ़ता था ।
पूर्ण सिंह जी के बारे में मुझे उतना पता है जितना उस हिंदी की पुस्तक में था और जिसे मैं ऊपर लिख चुका हूं । उनका ‘आचरण की सभ्यता’ भी मैंने गद्यकोष में पढ़ा है लेकिन ‘सच्ची वीरता’ की वजह से बारहवीं कक्षा की वह हिंदी की पुस्तक मेरे लिए किसी ‘पवित्र किताब’ की तरह हो गई थी । आज भी (10 अगस्त 2016) वह किताब मैं संभाल कर रखता हूं और कभी कभी पढ़ लेता हूं । मेरे दोस्तों के सामने मैं कई बार यह स्वीकार कर चुका हूं कि यह निबंध मेरे आध्यात्मिक जीवन की रीढ़ है । कुछ दोस्तों को मैंने इस निबंध की ज़ेराॅक्स करा के भी दी है ताकि वे भी पढ़ सकें । मेरे लिए ‘सच्ची वीरता’ ऐसा है जैसे धार्मिक लोगों के लिए उनके धर्म की मान्य पवित्र किताब होती है । हां, यह मेरी आस्था का मामला है और मैं धार्मिक नहीं हूं ।
आज ऐसा ख़याल हुआ कि इसे मैं अपने ब्लाॅग पर लिखूं । मैंने माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल, मध्यप्रदेश से कोई प्रतिलिप्याधिकार नहीं लिया है और मैं इसे वैसा ही लिखना चाहता हूं जैसा उस हिंदी की किताब में है । इस निबंध के प्रति मेरी व्यक्तिगत और पवित्र आस्था है । मेरा कोई व्यापारिक – व्यावसायिक लाभ इसमें नहीं है । मैं इसे मेरे पास सुरक्षित करने और रखने के उद्देश्य से रोज़ थोड़ा थोड़ा लिखना चाहता हूं । जिन्हें अब तक ‘सच्ची वीरता’ पढ़ने का अवसर नहीं मिला, या जो अब भूल चुके हैं वे भी इसे यहां पढ़ पाएँगे । हिंदी का पाठ्यक्रम कब का बदल चुका । अब वह किताब न दुकानों में है और न ही बच्चों के बस्ते में । 
कुल तैंतीस (33) पैराग्राफ हैं । रोज़ थोड़ा थोड़ा लिखने का प्रयास करूंगा । ब्लाॅग के लेख की कोई शब्द सीमा होती है या नहीं, मुझे पता नहीं । मैं मोबाइल के मेमो पर लिखता हूं । लैपटाप नहीं है मेरे पास और उसपे देवनागरी लिखना भी मुझे नहीं आता । आज दो पैरा लिखा हूं ।




MARK ME AS BRAINLIEST

ghantu: Sacchi veerta ki puri story mujhe mail kar denge
ghantu: Ye nibandh net pe kahi nahi mil raha hai
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