सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है। सूरमा नहीं विचलित होते
क्षण एक नहीं धीरज खोते। विघ्नों को गले लगाते हैं कांटों में राह बनाते हैं ।
है कौन विघ्न ऐसा जग में टिक सके आदमी के मग में, खम ठोक ठेलता है
जब नर पर्वत के जाते पांव उखड़। मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है।
padyansh
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कायर को ही दहलाती है, सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते.
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