English, asked by vasanthi16, 5 hours ago

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।
मुँह से न कभी उफ़! कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं,
शूलों का मूल नसाते हैं,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं।​

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Answered by Aaaryaa
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क्षण एक नहीं धीरज खोते. काँटों में राह बनाते हैं। बढ़ खुद विपत्ति पर छाते है।

Answered by meghnashit
0

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