सच है, विपत्ति जब आती कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक न ही धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं।
मुँह से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सह हैं, उद्योग निरत रत रहते हैं,
शूलों का मूल नसाते हैं, बढ़ खुद विपत्ति पर जाते हैं। काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक होगा - १ कायर २ वीरता ३ संकट का चरण ४ उद्योग नीरत व्यक्ति
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“Education is simply the soul of a society as it passes from one generation to another” – G.K. Chesterton
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