Hindi, asked by Anonymous, 3 months ago

☆सचिन तेंदुलकर के विषय में सचित्र वर्णन करें।​☆

305 words ​

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Answered by SanskrutiBodhane
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सचिन तेंदुलकर

“क्रिकेट के भगवान” या “मास्टर ब्लास्टर” कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट में विश्व के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक माना जाता है। क्रिकेट के खेल को भारतीय समाज में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है।

“क्रिकेट के भगवान”या “मास्टर ब्लास्टर”कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट में विश्व के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक माना जाता है। क्रिकेट के खेल को भारतीय समाज में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है। लेकिन तेंदुलकर सिर्फ क्रिकेटर ही नहीं, वह भारतीय संसद के सदस्य भी हैं और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा से संबंधित भारत के कई सामाजिक मुद्दों पर काम करने में लगे हुए हैं।

तेंदुलकर यूनिसेफ के साथ एक दशक से भी अधिक समय से जुड़े हुए हैं और उन्होंने संगठन के विभिन्न प्रयासों में सहयोग किया है। 2003 में, उन्होंने पोलियो के बारे में जागरूकता पैदा करने और भारत में पोलियो की रोकथाम को बढ़ावा देने के लिए अपना सहयोग दिया था। 2008 के बाद से, वह समुदायों में सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देने में यूनिसेफ के साथ महत्वपूर्ण रूप से शामिल रहें है। 2013 में, उन्हें इस महत्वपूर्ण उद्देश्य की हिमायत करने हेतु दक्षिण एशिया के लिए यूनिसेफ का राजदूत नियुक्त किया गया था। 'स्वास्थ्य और स्वच्छता का समर्थन करते हुए, तेंदुलकर कहते हैं, ''मैं हमेशा बच्चों की बेहतरी के लिए काम करने के लिए तत्पर रहता हूं और यूनिसेफ ने मुझे सही मंच प्रदान किया है। स्वच्छता का न केवल व्यक्तिगत साफ-सफाई के साथ, बल्कि मानवीय गरिमा, भलाई, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के साथ गहरा संबंध है। मैंने स्वच्छता और इससे जुड़े कार्यक्रमों का हिस्सा बनना चुना, क्योंकि ये छोटे-छोटे कदम एक स्वच्छ जीवनशैली को आकार देते हैं, जो बच्चों और महिलाओं को घातक बीमारियों से बचाते हैं और उन्हें स्वस्थ रखते हैं।”

सचिन तेंदुलकर ने भारत में यूनिसेफ के लिए ‘टीम स्वच्छ भारत अभियान’ का नेतृत्व किया है। इसका लक्ष्य शहरी और ग्रामीण समुदायों में वर्ग, लिंग,आयु और धर्म के भेद-भाव के बिना सभी लोगों के बीच शौचालय के उपयोग को अनिवार्य बनाना है। टीम स्वच्छ भारत, भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन का सहयोग करती है।

पिछले कुछ वर्षों में, तेंदुलकर ने दो बातें घर-घर पहुंचाई हैं: भोजन से पहले और बाद में हाथ धोने का महत्व और शौचालय का उपयोग करने का महत्व । इन दोनों अभियानों का उद्देश्य बच्चों को ज़रूरी व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में बताना है, ताकि वे स्वस्थ रह सकें और साथ ही साथ अपने दोस्तों और परिवारों को इस मुद्दे के बारे में जागरूक कर सकें।

हर साल, असुरक्षित पेयजल, स्वच्छता की कमी और खराब स्वच्छता व्यवहारों के कारण दक्षिण एशिया में 5 साल से कम आयु वर्ग के 50 लाख से अधिक बच्चों की डायरिया से मौत होती है । दक्षिण एशिया सबसे अधिक आबादी वाला ऐसा क्षेत्र है जहाँ शौचालयों की अत्यधिक कमी हैं: लगभग 68 करोड़ लोग शौचालय का उपयोग नहीं करते हैं, जिससे खतरनाक संक्रमण, बीमारियां और महामारियां होती हैं। इसलिए इस जोखिम के प्रति जागरूकता पैदा करना आवश्यक है, और तेंदुलकर इसके लिए प्रतिबद्ध है।

UNICEF India

इस प्रतिष्ठित खिलाड़ी को भारत के लोग दिलों में बसाते हैं। वो एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टार से कहीं अधिक हैं, वो कई लोगों और विशेष रूप से बच्चों के लिए एक आदर्श हैं। इसलिए उनकी आवाज़ बच्चे और उनके माता-पिता दोनों सुनते हैं। वे बेहतर स्वास्थ्य, सफाई और स्वच्छता के बारे में प्रचार करने के लिए एक अत्यधिक प्रभावी संदेशवाहक हैं।

तेंदुलकर ने बच्चों से बात करने के लिए भारत के कई अंदरूनी हिस्सों की यात्रा की है। उनकी प्रमुख यात्राओं में से एक महाराष्ट्र के पश्चिमी राज्य के रत्नागिरी जिले में थी, जहाँ उन्होंने एक आवासीय स्कूल में रहने वाले नेत्रहीन लड़कों और लड़कियों के साथ बातचीत की। तेंदुलकर, की स्कूल यात्रा ने इन भूले हुए बच्चों में उत्साह और खुशी की लहर ला दी, उन्होंने बच्चों को सफाई, हाथ धोने और स्वच्छता के महत्व के बारे में समझाया और उनसे अपने साथियों और परिवारों के बीच यह संदेश फैलाने का वादा लिया।

सफाई, स्वच्छता और पोलियो के अलावा, तेंदुलकर ने एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भी अपना समर्थन दिया है। बच्चों के जीवन में सुधार लाने के लिए उनकी निरंतर प्रतिबद्धता ने देश भर में दूर-दूर तक लोगों तक पहुंचने में मदद की है, और बड़े महत्वपूर्ण संदेश लोगों तक पहुंचाए हैं। तेंदुलकर के समर्थन से, यूनिसेफ देश के दूरस्त क्षेत्रों में भी बच्चों की जीवन शैली में स्वच्छता संबंधी महत्वपूर्ण सुधार तथा उन्हें स्वास्थ्य और खुशी दिलाने में सक्षम हुआ है।

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Answered by nareshsaini77117
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सचिन तेंदुलकर

“क्रिकेट के भगवान” या “मास्टर ब्लास्टर” कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट में विश्व के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक माना जाता है। क्रिकेट के खेल को भारतीय समाज में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है।

“क्रिकेट के भगवान”या “मास्टर ब्लास्टर”कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट में विश्व के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक माना जाता है। क्रिकेट के खेल को भारतीय समाज में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है। लेकिन तेंदुलकर सिर्फ क्रिकेटर ही नहीं, वह भारतीय संसद के सदस्य भी हैं और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा से संबंधित भारत के कई सामाजिक मुद्दों पर काम करने में लगे हुए हैं।

तेंदुलकर यूनिसेफ के साथ एक दशक से भी अधिक समय से जुड़े हुए हैं और उन्होंने संगठन के विभिन्न प्रयासों में सहयोग किया है। 2003 में, उन्होंने पोलियो के बारे में जागरूकता पैदा करने और भारत में पोलियो की रोकथाम को बढ़ावा देने के लिए अपना सहयोग दिया था। 2008 के बाद से, वह समुदायों में सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देने में यूनिसेफ के साथ महत्वपूर्ण रूप से शामिल रहें है। 2013 में, उन्हें इस महत्वपूर्ण उद्देश्य की हिमायत करने हेतु दक्षिण एशिया के लिए यूनिसेफ का राजदूत नियुक्त किया गया था। 'स्वास्थ्य और स्वच्छता का समर्थन करते हुए, तेंदुलकर कहते हैं, ''मैं हमेशा बच्चों की बेहतरी के लिए काम करने के लिए तत्पर रहता हूं और यूनिसेफ ने मुझे सही मंच प्रदान किया है। स्वच्छता का न केवल व्यक्तिगत साफ-सफाई के साथ, बल्कि मानवीय गरिमा, भलाई, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के साथ गहरा संबंध है। मैंने स्वच्छता और इससे जुड़े कार्यक्रमों का हिस्सा बनना चुना, क्योंकि ये छोटे-छोटे कदम एक स्वच्छ जीवनशैली को आकार देते हैं, जो बच्चों और महिलाओं को घातक बीमारियों से बचाते हैं और उन्हें स्वस्थ रखते हैं।”

सचिन तेंदुलकर ने भारत में यूनिसेफ के लिए ‘टीम स्वच्छ भारत अभियान’ का नेतृत्व किया है। इसका लक्ष्य शहरी और ग्रामीण समुदायों में वर्ग, लिंग,आयु और धर्म के भेद-भाव के बिना सभी लोगों के बीच शौचालय के उपयोग को अनिवार्य बनाना है। टीम स्वच्छ भारत, भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन का सहयोग करती है।

पिछले कुछ वर्षों में, तेंदुलकर ने दो बातें घर-घर पहुंचाई हैं: भोजन से पहले और बाद में हाथ धोने का महत्व और शौचालय का उपयोग करने का महत्व । इन दोनों अभियानों का उद्देश्य बच्चों को ज़रूरी व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में बताना है, ताकि वे स्वस्थ रह सकें और साथ ही साथ अपने दोस्तों और परिवारों को इस मुद्दे के बारे में जागरूक कर सकें।

हर साल, असुरक्षित पेयजल, स्वच्छता की कमी और खराब स्वच्छता व्यवहारों के कारण दक्षिण एशिया में 5 साल से कम आयु वर्ग के 50 लाख से अधिक बच्चों की डायरिया से मौत होती है । दक्षिण एशिया सबसे अधिक आबादी वाला ऐसा क्षेत्र है जहाँ शौचालयों की अत्यधिक कमी हैं: लगभग 68 करोड़ लोग शौचालय का उपयोग नहीं करते हैं, जिससे खतरनाक संक्रमण, बीमारियां और महामारियां होती हैं। इसलिए इस जोखिम के प्रति जागरूकता पैदा करना आवश्यक है, और तेंदुलकर इसके लिए प्रतिबद्ध है।

UNICEF India

इस प्रतिष्ठित खिलाड़ी को भारत के लोग दिलों में बसाते हैं। वो एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टार से कहीं अधिक हैं, वो कई लोगों और विशेष रूप से बच्चों के लिए एक आदर्श हैं। इसलिए उनकी आवाज़ बच्चे और उनके माता-पिता दोनों सुनते हैं। वे बेहतर स्वास्थ्य, सफाई और स्वच्छता के बारे में प्रचार करने के लिए एक अत्यधिक प्रभावी संदेशवाहक हैं।

तेंदुलकर ने बच्चों से बात करने के लिए भारत के कई अंदरूनी हिस्सों की यात्रा की है। उनकी प्रमुख यात्राओं में से एक महाराष्ट्र के पश्चिमी राज्य के रत्नागिरी जिले में थी, जहाँ उन्होंने एक आवासीय स्कूल में रहने वाले नेत्रहीन लड़कों और लड़कियों के साथ बातचीत की। तेंदुलकर, की स्कूल यात्रा ने इन भूले हुए बच्चों में उत्साह और खुशी की लहर ला दी, उन्होंने बच्चों को सफाई, हाथ धोने और स्वच्छता के महत्व के बारे में समझाया और उनसे अपने साथियों और परिवारों के बीच यह संदेश फैलाने का वादा लिया।

सफाई, स्वच्छता और पोलियो के अलावा, तेंदुलकर ने एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भी अपना समर्थन दिया है। बच्चों के जीवन में सुधार लाने के लिए उनकी निरंतर प्रतिबद्धता ने देश भर में दूर-दूर तक लोगों तक पहुंचने में मदद की है, और बड़े महत्वपूर्ण संदेश लोगों तक पहुंचाए हैं। तेंदुलकर के समर्थन से, यूनिसेफ देश के दूरस्त क्षेत्रों में भी बच्चों की जीवन शैली में स्वच्छता संबंधी महत्वपूर्ण सुधार तथा उन्हें स्वास्थ्य और खुशी दिलाने में सक्षम हुआ है।

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