History, asked by shelarabhishek808, 3 months ago

सचितानंद सिन्हा यांच्या नंतर कोण उपाध्यक्ष झाल

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Answered by TAMOJITKANTA
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डॉ सच्चिदानन्द सिन्हा (10 नवम्बर 1871 - 6 मार्च 1950)[कृपया उद्धरण जोड़ें] भारत के प्रसिद्ध सांसद, शिक्षाविद, अधिवक्ता तथा पत्रकार थे। वे भारत की संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष थे। बिहार को बंगाल से पृथक राज्य के रूप में स्थापित करने वाले लोगों में उनका नाम सबसे प्रमुख है। 1910 के चुनाव में चार महाराजों को परास्त कर वे केन्द्रीय विधान परिषद में प्रतिनिधि निर्वाचित हुए। प्रथम भारतीय जिन्हें एक प्रान्त का राज्यपाल और हाउस ऑफ् लार्डस का सदस्य बनने का श्रेय प्राप्त है। वे प्रिवी कौंसिल के सदस्य भी थे।[कृपया उद्धरण जोड़ें] डॉ सचिबनन्द सिन्हा का जन्म वास्तव में शाहाबाद जिले के मुरार गाँव के एक कायस्थ कुल में हुआ था वर्तमान में इनका गाँव बक्सर जिले में है। संविधान सभा की प्रथम बैठक में उम्र में जो वरिष्ठ हो वैसे नेता डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। संविधान सभा की प्राथम बैठक 9-12-1946 को और दूसरी बैठक ११ दिसंबर १९४६ को राजेन्द्र प्रसाद को स्थायी रूप से अध्यक्ष नियुक्त किया गया। संविधान सभा में डॉ. सिन्हा घटना संविधान सभा नियमावली निर्माण के प्रथम दिवस की है और उसका संबंध हिन्दी भाषा से है। झाँसी के माननीय रघुनाथ विनायक धुलेकर संविधान निर्माण सभा के सदस्य थे जो बाद में लोकसभा के सांसद तथा उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के अध्यक्ष हुए। वह बडे विद्वान्, धर्मनिष्ठ, कर्मठ और कुशल राजनेता भी थे। संविधान सभा में उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त दक्षिण भारत तथा मुस्लिम लीग के भी सदस्य थे। गवर्नर जनरल ने पटना के प्रख्यात विधिवेत्ता सच्चिदानन्द सिन्हा को वरिष्ठता और श्रेष्ठता के कारण इसका अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। पं. जवाहरलाल नेहरू ने अधिकृत नियम बन जाने तक कार्य संचालन के लिए यह प्रस्ताव रखा कि जब तक संविधान सभा अपने संचालन की नियमावली स्वयं नहीं बना लेती तब तक केंद्रीय धारा सभी के नियमानुसार यथासंभव कार्य किया जाय। तदनुसार कार्य प्रणाली को बनाने के लिए श्री जे.बी. कृपलानी ने केन्द्रीय धारा सभा के नियमों के अनुसार एक लम्बा प्रस्ताव भेजा जिसके अनुसार संविधान सभा को वह नियम निर्माण समिति (प्रोसोडवोर कमेटी) गठित करना था जो संविधान सभा की कार्य प्रणाली के नियम और उसके अधिकारों का नियमन करने के प्रारूप बनाकर संविधान सभा में उसको स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करती। कृपलानी जी का यह प्रस्ताव समस्त संविधान सभा सदस्यों के पास भेजा गया कि अगली बैठक की तिथि के पूर्व तक यदि कोई संशोधन हो तो सचिव संविधान सभा तक पहुँचा सकते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं हो सकता। इस पर माननीय रघुनाथ विनायक धुलेकर ने इस प्रस्ताव पर यह संशोधन भेजा कि यह कार्य नियमावली गठन समिति अपने नियम हिंदुस्तानी में बनाये। वे नियम अंग्रेज़ी में अनुवाद किये जा सकते हैं। जब कोई सदस्य किसी नियम पर तर्क करे तो वह मूल हिन्दुस्तानी का उपयोग करे और उस पर जो निर्णय किया जाये वह भी हिंदुस्तानी में हो

Answered by pitamberpatel1678
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plz mark brailiest i will follow u

Explanation:

डॉ सच्चिदानन्द सिन्हा (10 नवम्बर 1871 - 6 मार्च 1950)[कृपया उद्धरण जोड़ें] भारत के प्रसिद्ध सांसद, शिक्षाविद, अधिवक्ता तथा पत्रकार थे। वे भारत की संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष थे। बिहार को बंगाल से पृथक राज्य के रूप में स्थापित करने वाले लोगों में उनका नाम सबसे प्रमुख है। 1910 के चुनाव में चार महाराजों को परास्त कर वे केन्द्रीय विधान परिषद में प्रतिनिधि निर्वाचित हुए। प्रथम भारतीय जिन्हें एक प्रान्त का राज्यपाल और हाउस ऑफ् लार्डस का सदस्य बनने का श्रेय प्राप्त है। वे प्रिवी कौंसिल के सदस्य भी थे।[कृपया उद्धरण जोड़ें] डॉ सचिबनन्द सिन्हा का जन्म वास्तव में शाहाबाद जिले के मुरार गाँव के एक कायस्थ कुल में हुआ था वर्तमान में इनका गाँव बक्सर जिले में है। संविधान सभा की प्रथम बैठक में उम्र में जो वरिष्ठ हो वैसे नेता डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। संविधान सभा की प्राथम बैठक 9-12-1946 को और दूसरी बैठक ११ दिसंबर १९४६ को राजेन्द्र प्रसाद को स्थायी रूप से अध्यक्ष नियुक्त किया गया। संविधान सभा में डॉ. सिन्हा घटना संविधान सभा नियमावली निर्माण के प्रथम दिवस की है और उसका संबंध हिन्दी भाषा से है। झाँसी के माननीय रघुनाथ विनायक धुलेकर संविधान निर्माण सभा के सदस्य थे जो बाद में लोकसभा के सांसद तथा उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के अध्यक्ष हुए। वह बडे विद्वान्, धर्मनिष्ठ, कर्मठ और कुशल राजनेता भी थे। संविधान सभा में उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त दक्षिण भारत तथा मुस्लिम लीग के भी सदस्य थे। गवर्नर जनरल ने पटना के प्रख्यात विधिवेत्ता सच्चिदानन्द सिन्हा को वरिष्ठता और श्रेष्ठता के कारण इसका अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। पं. जवाहरलाल नेहरू ने अधिकृत नियम बन जाने तक कार्य संचालन के लिए यह प्रस्ताव रखा कि जब तक संविधान सभा अपने संचालन की नियमावली स्वयं नहीं बना लेती तब तक केंद्रीय धारा सभी के नियमानुसार यथासंभव कार्य किया जाय। तदनुसार कार्य प्रणाली को बनाने के लिए श्री जे.बी. कृपलानी ने केन्द्रीय धारा सभा के नियमों के अनुसार एक लम्बा प्रस्ताव भेजा जिसके अनुसार संविधान सभा को वह नियम निर्माण समिति (प्रोसोडवोर कमेटी) गठित करना था जो संविधान सभा की कार्य प्रणाली के नियम और उसके अधिकारों का नियमन करने के प्रारूप बनाकर संविधान सभा में उसको स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करती। कृपलानी जी का यह प्रस्ताव समस्त संविधान सभा सदस्यों के पास भेजा गया कि अगली बैठक की तिथि के पूर्व तक यदि कोई संशोधन हो तो सचिव संविधान सभा तक पहुँचा सकते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं हो सकता। इस पर माननीय रघुनाथ विनायक धुलेकर ने इस प्रस्ताव पर यह संशोधन भेजा कि यह कार्य नियमावली गठन समिति अपने नियम हिंदुस्तानी में बनाये। वे नियम अंग्रेज़ी में अनुवाद किये जा सकते हैं। जब कोई सदस्य किसी नियम पर तर्क करे तो वह मूल हिन्दुस्तानी का उपयोग करे और उस पर जो निर्णय किया जाये वह भी हिंदुस्तानी में हो!

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