Sacchi mitrata Par Ek Lekh likhiye
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जीवन की सरलता के लिए मित्र की आवश्यकता – ‘मित्रता’ का तात्पर्य है – किसी के दुःख-सुख का सच्चा साथी होना | सच्चे मित्रों में कोई दुराव-छिपाव नहीं होता | वे निश्छल भाव से अपना सुख-दुख दुसरे को कह सकते हैं | उनमें आपसी विश्वास होता है | विश्वास के कारण ही वे अपना ह्रदय दुसरे के सामने खोल पाते हैं |
मित्रता शक्तिवर्धक औषधि के समान है | मित्रता में नीरस से कम भी आसानी से हो जाते हैं | दो मित्र मिलकर दो से ग्यारह हो जाते है |
जीवन-संग्राम में मित्र महत्वपूर्ण – मनुष्य को अपनी ज़िंदगी के दुःख बाँटने के लिए कोई सहारा चाहिए | मित्रता ही ऐसा सहारा है | एडिसन महोदय लिखते हैं – ‘मित्रता ख़ुशी को दूना करके और दुःख को बाँटकर प्रसन्नता बढ़ाती है तथा मुसीबत कम करती है |’
सच्चे मित्र की परख और चुनाव – विद्वानों का कहना है कि अचानक बनी मित्रता से सोच-समझकर की गई मित्रता अधिक ठीक है | मित्र को पहचानने में जल्दी नहीं करनी चाहिए | यह काम धीरे-धीरे धर्यपूर्वक कारण चाहिए | सुकरात का बचन है- ‘ मित्रता करके में शीघ्रता मत करो, परंतु करो तो अंत तक निभाओ |’
मित्रता समान उम्र के, समान स्तर के, समान रूचि के लोगों में अधिक गहरी होती है | जहाँ स्तर में असमानता होगी, वहाँ छोटे-बड़े का भेद होना शुरू हो जाएगा |
सच्ची मित्र वाही है जो हमें कुमार्ग की और जाने से रोके तथा सन्मार्ग की प्रेरणा दे | सच्चा मित्र चापलूसी नहीं करता | मित्र के अवगुणों प्र पर्दा भी नहीं डालता | वह कुशलता-पूर्वक मित्र को उसके अवगुणों से सावधान करता है | उसे सन्मार्ग पर चलने में सहयोग देता है |
सच्चा मित्र मिलना सौभाग्य की बात – यह सत्य है कि सच्चा मित्र हर किसी को नहीं मिलता | विश्वासपात्र मित्र एक खजाना हैजो किसी-किसी को ही मिलता है | अधिकतर लोग तो परिचितों की भीड़ में अकेले रहते हैं | दख-सुख में उनका कोई साठी नहीं होता | जिस किसी को अपना एक सह्रदय मित्र मिल जाए, वह स्वयंक को सौभाग्यशाली समझे |
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