Hindi, asked by devanandshilpa4303, 1 year ago

sacha dharam par nibandh

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Answered by Anonymous
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हमारे में मानवता हो तो भीतर से सादगी सहज स्वयं प्रगट होती है ।

सभी के साथ प्रेमभाव से जीना ही मानवता है । एकता से जीना ही मानवता है । मानवता से भरा जीवन जीने से अपने अंदर सहज रूप से शक्ति और स्फूर्ति आएगी । अंदर में आनंद जागेगा ।

अंदर आनंद प्रगट होने से सभी के प्रति प्रेमभाव बढता रहेगा और हर रोज सभी के पास से नया नया सीख सकेंगे । शिक्षण मिलने से अपना जीवन गति शील और जीवंत बनता है । फिर कोई मानसिक भेदभाव रहता नहीं औऱ समग्र जीवन बिना बंधन मुक्त बनता है ।

सचमुच तो जीवन ही संबंध है । किसी से हम अलग रह सके ऐसा नहीं है । अगर हम किसी के प्रति पूर्वग्रह रके या मन्यता रखे तो आंतरिक संबंध नही होता ।

किसी के साथ आंतरिक संबंध हो इसके लिए मानवता से भरपूर ऐसा प्रेम और करुणा होनी चाहिए ।

सत्य के दर्शन के लिए बी पहली सीडी मानवता है । इसके लिए हमको आरंभ खुद अपने आप से करना है। आरंभ करेंगे तो कुदरत मदत करेगी । अपना सच्चा भाव होगा तो अंत में सत्य की अनुभूती होगी ।

Answered by rkjayani06
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Answer with explanation:

भारतीय राज्य धर्म से फ़ासला भी रखता है और उसमें हस्तक्षेप भी करता है। इस विषय में चर्चा निम्न प्रकार से है :    

भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्ष की धारणा को ग्रहण किया है । प्रस्तावना में भारत को एक धर्म निरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है । भारत राज्य धर्म से आपको दूर भी रखता है , तथा आवश्यकता पड़ने पर हस्तक्षेप भी कर सकता है। भारत का कोई अधिकारिक राज्य धर्म नहीं है। राज्य धर्म से दूर रहता है। भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को धर्म की   स्वतंत्रता प्रदान की गई है । परंतु अनुच्छेद 25 राज्य को यह  अनुमति देता है कि वे एक धर्म की आर्थिक तथा राजनीतिक गतिविधियों को नियंत्रित करें।  

राज्य सभी हिंदू संस्थाओं द्वारा चलाई गई जाने वाली कल्याणकारी गतिविधियों एवं सुधारों को अनुमति प्रदान कर सकता है। सिखों को अपने साथ कृपाण लेकर चलने की अनुमति है । संविधान ने छुआछूत को  समाप्त किया है । हालांकि धार्मिक स्वतंत्रता जनकल्याण , नैतिकता तथा स्वास्थ्य के आधार पर की जा सकती है।

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

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