sacha dharam par nibandh
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हमारे में मानवता हो तो भीतर से सादगी सहज स्वयं प्रगट होती है ।
सभी के साथ प्रेमभाव से जीना ही मानवता है । एकता से जीना ही मानवता है । मानवता से भरा जीवन जीने से अपने अंदर सहज रूप से शक्ति और स्फूर्ति आएगी । अंदर में आनंद जागेगा ।
अंदर आनंद प्रगट होने से सभी के प्रति प्रेमभाव बढता रहेगा और हर रोज सभी के पास से नया नया सीख सकेंगे । शिक्षण मिलने से अपना जीवन गति शील और जीवंत बनता है । फिर कोई मानसिक भेदभाव रहता नहीं औऱ समग्र जीवन बिना बंधन मुक्त बनता है ।
सचमुच तो जीवन ही संबंध है । किसी से हम अलग रह सके ऐसा नहीं है । अगर हम किसी के प्रति पूर्वग्रह रके या मन्यता रखे तो आंतरिक संबंध नही होता ।
किसी के साथ आंतरिक संबंध हो इसके लिए मानवता से भरपूर ऐसा प्रेम और करुणा होनी चाहिए ।
सत्य के दर्शन के लिए बी पहली सीडी मानवता है । इसके लिए हमको आरंभ खुद अपने आप से करना है। आरंभ करेंगे तो कुदरत मदत करेगी । अपना सच्चा भाव होगा तो अंत में सत्य की अनुभूती होगी ।
सभी के साथ प्रेमभाव से जीना ही मानवता है । एकता से जीना ही मानवता है । मानवता से भरा जीवन जीने से अपने अंदर सहज रूप से शक्ति और स्फूर्ति आएगी । अंदर में आनंद जागेगा ।
अंदर आनंद प्रगट होने से सभी के प्रति प्रेमभाव बढता रहेगा और हर रोज सभी के पास से नया नया सीख सकेंगे । शिक्षण मिलने से अपना जीवन गति शील और जीवंत बनता है । फिर कोई मानसिक भेदभाव रहता नहीं औऱ समग्र जीवन बिना बंधन मुक्त बनता है ।
सचमुच तो जीवन ही संबंध है । किसी से हम अलग रह सके ऐसा नहीं है । अगर हम किसी के प्रति पूर्वग्रह रके या मन्यता रखे तो आंतरिक संबंध नही होता ।
किसी के साथ आंतरिक संबंध हो इसके लिए मानवता से भरपूर ऐसा प्रेम और करुणा होनी चाहिए ।
सत्य के दर्शन के लिए बी पहली सीडी मानवता है । इसके लिए हमको आरंभ खुद अपने आप से करना है। आरंभ करेंगे तो कुदरत मदत करेगी । अपना सच्चा भाव होगा तो अंत में सत्य की अनुभूती होगी ।
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