Hindi, asked by sunil130, 1 year ago

Sacha Mitra nibandh lekhan

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Answered by superswastik
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दो या दो से अधिक लोगों के बीच में मित्रता एक दैवीय रिश्ता है। दोस्ती का दूसरा नाम ध्यान रखना और सहायता करना है। ये भरोसे, एहसास और एक-दूसरे के प्रति बराबर समझ पर आधारित है। दो या दो से अधिक सामाजिक लोगों के बीच में ये बहुत साधारण और निष्ठावान रिश्ता है। जो लोग सच्ची दोस्ती करते हैं वो बिना किसी प्रकार के लालच के दूसरे मित्र का ध्यान रखते हैं और सहायता करते हैं। परवाह और भरोसे से दिनों-दिन दोस्ती और मजबूत होने लगती है।

बिना एक दूसरे को अपना दंभ और ताकत दिखाये दोस्त एक-दूसरे पर भरोसा और सहायता करते हैं। उनको अपने दिमाग में न्याय का एहसास रहता है और जानते हैं कि किसी भी समय किसी को भी ध्यान और सहायता की ज़रुरत पड़ सकती है। लंबे समय तक दोस्ती को बनाये रखने के लिये समर्पण और भरोसे की बहुत ज़रुरत होती है। ढेर सारी मांगों और संतुष्टि की कमी की वजह से कुछ लोग दोस्ती को लंबे समय तक बनाए रखने में अक्षम होते हैं। कुछ लोग केवल अपनी जरुरतों और इच्छाओं की पूर्ति के लिये दोस्त बनाते हैं।

एक बड़ी भीड़ में एक अच्छा दोस्त ढूढंना कोयले के खदान में हीरा तलाशने के समान है। सच्चे दोस्त केवल वहीं नहीं होते जो अच्छे मौकों पर ही उपलब्ध हों बल्कि वो होते हैं जो बुरी परिस्थितियो में भी साथ खड़े रहें। हमें अपना सबसे अच्छा दोस्त चुनने में सावधान रहना चाहिये क्योंकि हम किसी से भी धोखा खा सकते हैं। जीवन में एक अच्छा साथी पाना बहुत मुश्किल कार्य है और अगर किसी को सच्चा साथी मिलता है तो उसपर प्रभु की सच्ची कृपा है। एक अच्छा मित्र हमेशा दोस्त के बुरे समय में उसकी सहायता करता है और सही राह पर चलने के लिये सलाह दिखाता है।

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sunil130: ok
superswastik: i followed u
sunil130: please give me answer in detail about about nibandh
superswastik: ok wait
sunil130: it is very urgent
sunil130: tell
sunil130: please
sunil130: in which class you
superswastik: 7 bye
sunil130: I ask some question please answer it
Answered by sweetyjindal1996sj
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Answer:

निबंध – सच्चा मित्र

Explanation:

किसी भी मुश्किल में अगर कोई व्यक्ति आपके साथ खड़ा है तो वहीं आपका सच्चा मित्र है। सुख – दुख में साथ देने वाला व्यक्ति सच्चा मित्र होता है । सच्चा मित्र अपने स्वार्थों, से अपने निजी सुख से ऊपर उठकर अपने मित्र को गलत राह पर चलने से रोकता है और अपने मित्रों को ना तो कभी भटकने देता है और ना ही रास्ता भूलने देता है। सच्चा मित्र उसे सही रास्ते पर चलाने का कोशिश करता है और संकट के समय उसका साथ नहीं छोड़ता। सच्चा मित्र अपना गौरव सदैव जगाए रखकर मित्र को जगाता है।

लेकिन आज के इस स्वार्थपूर्ण जग में अपने लिए एक सच्चा मित्र ढूंढना जैसे कोई सबसे मुश्किल काम है क्योंकि आज के युग में कोई भी किसी की भी बिना स्वार्थ के मदद नहीं करता। कहने को हमारे कई दोस्त होते है जो हमारे साथ मौज– मस्ती करते है, हमारे साथ घूमते है लेकिन जब हमें उनकी जरूरत होती है तब वही दोस्त पीठ दिखा कर निकल जाते है।

इसलिए अगर हमे कभी भी कोई अच्छा और सच्चा मित्र मिलता है तो हमे उसकी इज्जत करनी चाहिए।

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