Hindi, asked by rathod488, 9 months ago

sachi mitrata story in hindi short​

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Answered by 1626chauhan2525
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Answer:

एक बार की बात है दो युवक थे उनका आपस मे परिचय हुआ । धीरे उनकी मित्रता और भी घनिष्ठ हो गई।एक दूसरे के घर जाने लगे।

एक बार उनमें से एक मित्र के घर शादी हुयी उसने अपने नये मित्र को भी आमन्त्रित किया। नया मित्र भी शादी में उनके घर आया लेकिन उसकी आवभगत में कमी रह गयी। यह कमी खाने पीने की नहीं थी, बल्कि जिस व्यवहार की वह अपेक्षा कर रहा था वह वहाँ उसके साथ नहीं हुआ। आमंत्रित करने वाला बीमार हो गया था।

मेहमान मित्र वहाँ अपने आपको अपमानित महसूस कर रहा था। उसे वहाँ अच्छा नहीं लगा और वह अपने घर वापस आ गया कुछ दिनों बाद उसने अपने मित्र को व्यंगात्मक लहजे में एक पत्र लिखा- विवाह वाले दिन आपकी तबियत खराब थी,इसलिये शायद आप मेहमानों की ठीक से देखभाल नहीं कर पाये।

खैर अब आपकी तबियत कैसी है?

कुछ दिनों बाद उसका उत्तर आया।

पत्र में लिखा था-

प्रिय मित्र ,

विवाह में सैकड़ों रिश्तेदार औऱ मित्र आये थे, पर उनमें से कोई ऐसा नहीं था,जिसने मेरी चिन्ता की हो । किसी ने मुझसे मेरे स्वास्थ्य के बारे में नही पूछा। मित्र सिर्फ तुम ही पहले व्यक्ति हो जिसने मेरा हाल – चाल पूछा ओर मुझे पत्र लिखा।

हमारी दोस्ती भले ही बहुत कम दिनों की है पर आज मैं तुम्हारे जैसा मित्र पाकर धन्य हो गया । मैं तुम्हारा बहुत बहुत आभारी हूँ, विवाह वाले दिन मेरा स्वास्थ्य खराब होने के कारण मैं तुम्हारा अपेक्षित आदर सत्कार नहीं कर पाया, जैसे ही पत्र मिले उसी दिन घर आने का कार्यक्रम बनाओ ।

यह पत्र जैसे ही दूसरे मित्र ने पढ़ा उसकी सारी शिकायतें दूर हो गई उसे महसूस हुआ कि वह कितना गलत था और पता नहीं क्या- क्या सोच रहा था ,उसे अपनी गलती का एहसास हो गया।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कई बार हम दूसरों की विवशता को समझे बिना ही व्यर्थ में ही उन पर दोषारोपण करने लगते हे। मित्रता की कसौटी सिर्फ एक दूसरे से अपेक्षाएं रखना नहीं है, बल्कि एक दूसरे कि अपेक्षाओं पर खरा उतरना है। जिस दिन इंसान को ये बात समझ में आती है उसी दीन से सच्ची मित्रता शुरू हो जाती है।

Answered by samiadan520
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Explanation:

जीवन और राकेश दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे और बहुत ही पक्के दोस्त थे। जहाँ भी जाते खूब मस्ती करते और मौज मनाते

एक दिन दोनों घूमते हुए जंगल की तरफ निकल गए। बातें करते हुए उन्हें ध्यान ही नहीं रहा कि रात हो गयी।

अब दोनों को डर लगने लगा कि कहीं कोई जंगली जानवर उन पर हमला ना कर दे।

जल्दी से जंगल से बाहर निकलने के लिए वो दौड़ने लगे। लेकिन दौड़ते हुए जीवन की चप्पल टूट गयी और उसके पैर में चोट लग गयी और खून बहने लगा। जिससे उसे चलने में दिक्कत आने लगी।

टूटी चप्पल और चोट के कारण जीवन बहुत धीरे ही चल पा रहा था क्योंकि अगर चप्पल हाथ में ले लेता तो जमीन पर पड़े पत्थर और कांटे उसके पैर को चुभ जाते और दर्द करते।

तभी दूर से किसी जानवर के चिंघाड़ने की आवाज आयी और उसे सुन राकेश तेजी से भाग गया लेकिन जीवन तो धीरे ही चल पा रहा था सो पीछे रह गया।

लेकिन जीवन ने हिम्मत नहीं हारी और धीरे धीरे ही चलते हुए जंगल से सुरक्षित बाहर आ गया। अगले दिन दोनों जब स्कूल में मिले तो राकेश बोला ” मैंने तो सबक सीख लिया कि अब कभी जंगल की तरफ नहीं जाऊंगा। ” तब जीवन ने जवाब में कहा ” हाँ ! मैंने भी एक सबक सीखा कि दोस्त वही जो समय पर काम आए।”

इस से हमें यह शिक्षा मिलती है – तुम्हारा सच्चा मित्र वही जो बुरे समय तुम्हारा साथ दे।

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