Sada satya bolo per anuchad
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जिसके जीवन में सत्य है, वह महान बन जाता है । क्योंकि सत्य भगवान का गुण है । इसे धारण करने से मनुष्य गुणकारी बनता है तथा समाज में आदर पाता है ।
जिसके हृदय में सत्य है उसके हृदय में भगवान वास करते हैं । जंहा सत्य नहीं है, झूठ ही झूठ छाया रहता है वंहा दानवों का निवास होता है । वास्तव में झूठ का समानार्थक पशुता ही है । जिस प्रकार वृक्ष अपने फल से पहचाना जाता है उसी प्रकार मानव अपने व्यवहार कार्य से पहचाना जाता है । जो मानव सत्यवादी होता है उसका नाम युधिष्टिर और राजा हरिश्चंद्र के समान सदा अमर हो जाता है ।
संसार में सत्य से बढ़कर कोई धर्म नहीं, सत्य से बढ़कर कोई श्रेष्ठ ज्ञान नहीं । सत्य से ही संसार चल रहा है । असत्य जंहा विनाश का कारण बनता है वंही सत्य से सृष्टि की रक्षा होती है । दुर्योधन और रावण के असत्य के कारण ही तो रामायण और महाभारत के युद्ध हुए । असत्य से ही संसार में महायुद्धों का जन्म हुआ और जन-धन की हानि हुई ।
सत्यवादी मानव कभी हानि नहीं उठाता । यह जरुर है कि सत्य के कारण कई महापुरषों को दुःख सहने पड़े पर अंत में जीत सत्य की हुई । राजा हरिश्चंद्र ने तो सत्य के लिए अपना राज-पाठ त्याग दिया था । सत्य के बल पर ही प्रभु श्रीराम विजयी हुए थे और महाभारत में पांडव जीते थे । अतः हमारा परमकर्त्तव्य है कि हम सत्य को अपनाएं और दुर्गुणों का त्याग करें ।