Hindi, asked by fatimazahrafarooq200, 21 days ago

sadak ki baat summary​

Answers

Answered by Kritika25675
3

Explanation:

गुरुदेव रविंद्रनाथ ठाकुर जी द्वारा रचित ‘सड़क की बात’ वस्तुतः सड़क की अपने आत्मकथा है | लेखक ने इस कविता में सड़क जो एक निर्जीव वास्तु है जिसमे जीवन का कोई भी संकेत नहीं मिलता | कवि ने अपनी लेखनी से इस निर्जीव सड़क का बहुत ही खूबसूरती से मानवीकरण किया है |

लेखक ने अपने विचारो से उस निर्जीव सड़क का ऐसा मार्मीक चित्रण किया है की सड़क की बातें जीवंत हो उठी है | सड़क कहती है की वह शापग्रस्त है और चंतामुक्त होकर एक ही स्थान पर सालो (वर्षो) से अडिग, अचल, अटल है | उसे इतना भी सुख नहीं की वो अपने लिए कोमल हरी घास की शौय्या भी बना सके | सड़क प्रत्येक व्यक्ति के चरणों के स्पर्श से यह जान लेता है की वह कहा जाना चाहता है | सड़क सबको अपनी – अपनी मंजिल तक पहुँचा देती है | परन्तु उसका कोई भी मंजिल नहीं है | लोग जब कभी अपने मंजिल को दूर मानते है तब वह सड़क को ही कोसते है, सड़क को ही दोषी मानते है |

सुख की घर – गृहस्थी वाले व्यक्ति के पैरों के आहट सुनकर सड़क समझ जाती है की इन पैरों की आहट वाले व्यक्ति सुख पूर्वक घर पहुचने को आतुर है | सुखी घर परिवार का वातावरण उसे अपनी ओर पुकार रहा है |

गृह हीन व्यक्ति सड़क पर बिना किस६इ लक्ष्य के चलता है | उसके पैरों में कोई भी ताल नहीं होती एवं मन में कोई उत्साह नहीं होती है | सड़क को ऐसा प्रतीत होता है की उसके ऊपर पड़ी धूल और भी सूख गयी है |

जब छोटे – छोटे बच्चे सड़क के ऊपर आकर खेलकूद करते है उसको अपने कोमल हाथों से स्पर्श करते है तब सड़क की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता | सड़क के मन में यह बात आती है की बच्चे के कोमल पाँव को उसका कठोर सतह चुभन देती होगी और तकलीफ पहुचती होगी | वह सोचती है कि काश बच्चो के पैर पड़ते वक्त वो फूलों की तरह नरम और कोमल हो जाती | बच्चे खेल – खेल में सड़क को घर का अनंद भी दे जाते है |

सड़क हर पल लाखों लोगों के आवागमन की साक्षी होती है | हर कोई सड़क पर आता है और अगले ही पल वो अपने पैरों के निशान छोड़ कर चला जाता है | सड़क किसी के साथ भेद भाव नहीं करती है, सड़क अमीर और गरीब सबके जन्म – मृत्यु की गवाह होती है, लोग आते है और चले जाते हैं | सब कुछ उसके ऊपर एक ही साँस में घूल के स्त्रोत की तरह उड़ता चला जाता है | इसलिए सड़क को न हँसी है न रोना |

सड़क हमेशा अकेली है, और अकेली ही रहती है | वह अपने ऊपर पड़े शाप के मुक्त होने का इंतजार कर रही है |

Similar questions