सफलता के 4 मंत्र किसने दिए
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गायत्री वेदजननी गायत्री पापनाशिनी।
गायत्र्या: परमं नास्ति दिवि चेह च पावनम्।। (शंखस्मृति)
अर्थात्‘गायत्री वेदों की जननी है। गायत्री पापों का नाश करने वाली है। गायत्री से अन्य कोई पवित्र करने वाला मंत्र स्वर्ग और पृथ्वी पर नहीं है।’
सृष्टिकर्ता ब्रह्मा से लेकर आधुनिक काल तक ऋषि-मुनियों, साधु-महात्माओं और अपना कल्याण चाहने वाले मनुष्यों ने गायत्री मंत्र का आश्रय लिया है। यह मंत्र यजुर्वेद व सामवेद में आया है लेकिन सभी वेदों में किसी-न-किसी संदर्भ में इसका बार-बार उल्लेख है। स्वामी करपात्रीजी के शब्दों में गायत्री मंत्र का जो अभिप्राय है वही वेदों का अर्थ है।
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