) सफलता की कुंजी : मन के एकाग्रता
* मन की एकाग्रता क्यों
* सतत अभ्यास
* सफलता की कुंजी
Answers
मन की एकाग्रता ही सफलता की कुंजी है
‘मन की एकाग्रता ही सफलता की कुंजी है’ ये उक्ति शत-प्रतिशत सच है। बिना मन को साधे अर्थात अपने मन को वश में किये बिना कोई भी कार्य संभव नही है। अपने मन को एकाग्र करके हम असाध्य से असाध्य कार्य को पूरा कर सकते हैं।
एक एकाग्र मन हमें मिलने वाले अवसरों को ज्यादा आकर्षित करता है जिसके कारण हम अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने में ज्यादा सक्षम हो पाते हैं।
किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिये मानसिक रूप से सबल होना अति आवश्यक है और मानसिक सबलता हमें अपने मन को एकाग्र करके ही प्राप्त होती है। जब हमारा मन एकाग्र हो जाता है तो वो हमारे वश में होता है तब हमारे अंदर की छुपी हुईं शक्तियां जाग्रत हो जाती हैं और हमारे गुण विकसित होते हैं।
एक विद्यार्थी जब एकाग्र मन से पढ़ाई करता है तो उसको सारी बाते जल्दी याद हो जाती हैं और उसे किसी तरह रट्टा मारने की जरूरत नही पड़ती। उसी प्रकार जब एक निशानेबाज एकाग्र होकर अपने निशाने को बेधने की कोशिश करता है तो उसका निशाना सटीक बैठता है।
मन को एकाग्र करने के अनेक उपाय हैं। ध्यान के द्वारा, योग के द्वारा, सतत अभ्यास के द्वारा अपने मन को एकाग्र किया जा सकता है।
जब एक बार हमने अपने मन को अपने वश में कर लिया तो इस संसार का कोई कार्य हमारे लिये मुश्किल नही रह जायेगा और सफलता हमारे कदम चूमेगी।
Explanation:
मन की एकाग्रता ही सफलता की
कुंजी है
'मन की एकाग्रता ही सफलता की कुंजी है ये उक्ति शत-प्रतिशत सच है। बिना मन को साधे अर्थात अपने मन को वश में किये बिना कोई भी कार्य संभव नही है। अपने मन को एकाग्र करके हम असाध्य से असाध्य कार्य को पूरा कर सकते हैं।
एक एकाग्र मन हमें मिलने वाले अवसरों को ज्यादा आकर्षित करता है जिसके कारण हम अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने में ज्यादा सक्षम हो पाते हैं।
किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिये मानसिक रूप से सबल होना अति आवश्यक है और मानसिक सबलता हमें अपने मन को एकाग्र करके ही प्राप्त होती है। जब हमारा मन एकाग्र हो जाता है तो वो हमारे वश में होता है तब हमारे अंदर की छुपी हुईं शक्तियां जाग्रत हो जाती हैं और हमारे गुण विकसित होते हैं।
एक विद्यार्थी जब एकाग्र मन से पढ़ाई करता है तो उसको सारी बाते जल्दी याद हो जाती हैं और उसे किसी तरह रट्टा मारने की जरूरत नही पड़ती। उसीकिसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिये मानसिक रूप से सबल होना अति आवश्यक है और मानसिक सबलता हमें अपने मन को एकाग्र करके ही प्राप्त होती है। जब हमारा मन एकाग्र हो जाता है तो वो हमारे वश में होता है तब हमारे अंदर की छुपी हुईं शक्तियां जाग्रत हो जाती हैं और हमारे गुण विकसित होते हैं।
एक विद्यार्थी जब एकाग्र मन से पढ़ाई करता है तो उसको सारी बाते जल्दी याद हो जाती हैं और उसे किसी तरह रट्टा मारने की जरूरत नही पड़ती। उसी प्रकार जब एक निशानेबाज एकाग्र होकर अपने निशाने को बेधने की कोशिश करता है तो उसका निशाना सटीक बैठता है।
मन को एकाग्र करने के अनेक उपाय हैं। ध्यान के द्वारा, योग के द्वारा, सतत अभ्यास के द्वारा अपने मन को एकाग्र किया जा सकता है।
जब एक बार हमने अपने मन को अपने वश में कर लिया तो इस संसार का कोई कार्य हमारे लिये मुश्किल नही रह जायेगा और सफलता हमारे कदम चूमेगी।