safalta Sukh Ki Kunji Hai anuched essay
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वर्तमान हम ऐसे आधुनिक युग में जी रहे हैं,जहाँ एक तरफ भौतिक समृद्धि अपनी ऊँचाई पर है तो दूसरी तरफ चारित्रिक पतन की गहराई है। आधुनिकीकरण में उलझा मानव सफलता की नित नई परिभाषाएँ खोजता रहता है और स्वयं की ही अंतहीन इच्छाओं के रेगिस्तान में भटकता रहता है।ऐसे समय में सच्ची सफलता और सच्चे सुख-शान्ति की प्यास से आकुल-व्याकुल हर व्यक्ति मृग-मरीचिका के समान भ्रमित होकर अनेक मानसिक रोगों का शिकार बनता जा रहा है। परन्तु हममे से कितने लोगों को इस बात का ज्ञान हैं की जीवन में सफलता प्राप्त करना और सफल जीवन जीना यह दो अलग-अलग बातें हैं ।यह जरूरी नहीं, की जिसने अपने जीवन में साधारण कामनाओं को हासिल कर लिया हो वह पूर्णतः संतुष्ट और प्रसन्न हो। अतः हमें गंभीरतापूर्वक इस बात को समझना चाहिए की इच्छित फल को प्राप्त कर लेना ही सफलता नहीं है। जब तक हम अपने जीवन में नैतिक एवं अध्यात्मिक मूल्यों का सिंचन नहीं करेंगे ,तब तक यथार्थ सफलता पाना हमारे लिए मुश्किल ही नहीं अपितु असंभव कार्य हो जायेगा, क्योंकि बिना मूल्यों के हासिल की हुई सफलता केवल क्षणभंगुर सुख के सामान रहती हैं न की सदाकाल के लिए।