सफ़िया ने हैंडबैग मेज पर रख दिया और नमक की पुड़िया निकालकर उनके
सामने रख दी और फिर आहिस्ता-आहिस्ता रुक रुक कर उनको सब कुछ बता दिया।
उन्होंने पुड़िया को धीरे से अपनी तरफ सरकाना शुरू किया। जब सफिया की
बात खत्म हो गई तब उन्होंने पुड़िया को दोनों हाथों में उठाया, अच्छी तरह लपेटा और
खुद सफ़िया के बैग में रख दिया। बैग सफ़िया को देते हुए बोले, "मुहब्बत तो कस्टम
से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।"
वह चलने लगी तो वे भी खड़े हो गए और कहने लगे, "जामा मस्जिद की
सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून को यह नमक देते वक्त मेरी तरफ से
कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ्ता-
रफ्ता ठीक हो जाएगा।"
(क) कहानी में नमक की पुड़िया इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो गई है ?
(ख) सफ़िया ने कस्टम अफसर को इस पुड़िया के बारे में क्या बताया होगा?
(ग) आशय स्पष्ट कीजिए-
"मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।"
Answers
(क) कहानी में नमक की पुड़िया इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो गई है ?
➲ कहानी में साफिया के लिए नमक की पुड़िया इसलिए महत्वपूर्ण हो गई थी क्योंकि यह नमक उसकी माँ समान महिला ने अपने जन्म स्थान लाहौर से मंगाया था। उसकी माँ के जैसी महिला दिल्ली में रहती थी और उनका जन्म लाहौर में हुआ था, इसलिए उन्हें अपने जन्म स्थान नामक लाहौर के नमक की बड़ी ख्वाहिश थी। साफिया के लाहौर जाते समय उन्होंने लौटते समय लाहौर का नमक लाने को कहा था।
(ख) सफ़िया ने कस्टम अफसर को इस पुड़िया के बारे में क्या बताया होगा?
➲ साफिया ने कस्टम अफसर को इस पुड़िया के बारे ठीक-ठीक बताया। उसने स्पष्ट बता दिया कि ये पुड़िया उसे दिल्ली में उसकी पहचान वाले ने मंगाई थी।
साफिया के लिए नमक की पुड़िया महत्वपूर्ण हो गई थी क्योंकि यह नमक उसकी माँ समान महिला ने अपने जन्म स्थान लाहौर से मंगाया था। उसकी माँ के जैसी महिला दिल्ली में रहती थी और उनका जन्म लाहौर में हुआ था, इसलिए उन्हें अपने जन्म स्थान नामक लाहौर के नमक की बड़ी ख्वाहिश थी। साफिया के लाहौर जाते समय उन्होंने लौटते समय लाहौर का नमक लाने को कहा था।
(ग) आशय स्पष्ट कीजिए-
"मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।"
✎... मोहब्बत तो कसम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है इस पंक्ति का आशय यह है कि मोहब्बत के आगे किसी कानून की नहीं चलती। जब बात इंसानियत और मोहब्बत की आती है तो नियम-कानून धरे के धरे रह जाते हैं। नियम कानून इंसानियत से ऊपर नहीं है।
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○