sagar ki atmakatha essay
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मैं एक महा सागर हूँ ।
मुझे समुंदर भी कहते हैं । मैं पृथ्वी पर भूखंडों के बीच में रहता
हूँ। मैं इस महान सृष्टि के शुरुवाद से यहीं पर जिंदा जागता रहा हूँ।
मुझे पृथ्वी के नक्शे पर नील रंग से दिखते हैं।
मेरे अंदर पानी ही पानी है। लेकिन थोडसा नमकीन है। आप लोग नहीं पी पाते हैं। मेरे गहराई तो बहुत ज्यादा, यानि कुछ किलोमीटर से भी ज्यादा है । मेरे अंदर अनेक असंख्याक जन्तु जीव राशि हैं। छोटी से छोटी मछली से लेकर बड़े बड़े व्हेल रहते हैं। और गहराईयों में बहुत उत्तम पौधे भी हैं।
डेढ़ सारे लोग मेरे अंदर स्कूबा डाइव करते हैं अपने उत्साह से कुछ खोजते हैं । तरह तरह के मछली खोजते हैं। मेरे ऊपर लोग नाव, जहाज चलाते हैं। एक देश से दूसरे देश जाने के लिए मेरे ऊपर से ही जाते हैं। इंग्लंड और फ़्रांस के बीच में एक सुरंग मार्ग भी बनाया गया मेरे अंदर मेरे ताल पर। इस में रेल गाड़ी जाता है।
गरमी के मौसम में लोग मेरे किनारे आराम करने के लिए आते हैं। नहाते हैं। तैरते हैं। सान टानिंग करते हैं। मेरे मार्ग से अधिक व्यापार चलता है। एक देश से या एक राज्य से अनेक वस्तु धातु कोईला तेल आहार इत्यादि दूसरे देश में या राज्य में लेके जाते हैं और बेचते हैं।
मेरे बिना धरती बहुत ज्यादा गरम हो जाती। मैं धरती को ठंन्डी रखता हूँ।
मेरे अंदर पानी ही पानी है। लेकिन थोडसा नमकीन है। आप लोग नहीं पी पाते हैं। मेरे गहराई तो बहुत ज्यादा, यानि कुछ किलोमीटर से भी ज्यादा है । मेरे अंदर अनेक असंख्याक जन्तु जीव राशि हैं। छोटी से छोटी मछली से लेकर बड़े बड़े व्हेल रहते हैं। और गहराईयों में बहुत उत्तम पौधे भी हैं।
डेढ़ सारे लोग मेरे अंदर स्कूबा डाइव करते हैं अपने उत्साह से कुछ खोजते हैं । तरह तरह के मछली खोजते हैं। मेरे ऊपर लोग नाव, जहाज चलाते हैं। एक देश से दूसरे देश जाने के लिए मेरे ऊपर से ही जाते हैं। इंग्लंड और फ़्रांस के बीच में एक सुरंग मार्ग भी बनाया गया मेरे अंदर मेरे ताल पर। इस में रेल गाड़ी जाता है।
गरमी के मौसम में लोग मेरे किनारे आराम करने के लिए आते हैं। नहाते हैं। तैरते हैं। सान टानिंग करते हैं। मेरे मार्ग से अधिक व्यापार चलता है। एक देश से या एक राज्य से अनेक वस्तु धातु कोईला तेल आहार इत्यादि दूसरे देश में या राज्य में लेके जाते हैं और बेचते हैं।
मेरे बिना धरती बहुत ज्यादा गरम हो जाती। मैं धरती को ठंन्डी रखता हूँ।
HARSH08:
Nice answer bro
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Sagar ki atmakatha
BARASAT HO RHI HAI ,AUR
SGAR UDAS HAI, AB
NHI AATI KOI MEHBOOBA NDI(RIVER)
MILNE.
YHI VO DIN THE JAB,
MILE THE DO DIL ,UFFANTE ,
GARAJTE BAADLO KE MAUSAM MEIN,
AAE THI MEHBOOBA NDI,
LEHRO MEIN SAMATE ANJAN
PREMI KE LIYE MEHKATI
SAUGATEIN.
UMMANGO SE BHARI NDI KO
BHA GYA THA SAGAR KA KHARA PAN,
AUR KHO GAYI VO,
SAGAR KE GEHRE PREM MEIN,
BHAR DIYA SAGAR KO PHADO SE LAAE
KHOOBSOORTI AUR KHUSBOO SE.
SAGAR BHI NDI KE PREM MEIN,
BEKAABO HO GYA,
APNI LEHRO SE CHUNE LGA CHAND KO
AUR SAMETNE LGA DHARTI KO.
PHIR,
EK DIN,
HO GYA ITNA VISHAL KI ,
BHOOL GYA NADI KE PREM KO,
IS ABHIMAN MEIN.
APNA SARVASV SMARAPIT KR CHUKI NDI
UDAS HO
GAYI
ROTE ROTE USKE AANSOO SUKH GAYE
AUR USKI LEHRE
SAANT HO GAYI.
FHIR,
EK DIN,
JAB BADAL CHUP THE ,AUR
DHOOP TEJ
NDI LAUT GAYI
APNE DESH.
AB SAGAR
AKELA REHTA HAI,
SIMAT KE APNE DAYRE MEIN.
USE BHI EHSAS HAI APNI BEROOKHI KA .
ISILIYE SAANT LEHRO KE SATH
INTEZAAR KRTA HAI MEHBOOBA
NDI KA.........
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