सगठन के महत्व के किन्ही छः बिन्दुओ का वर्णन कीजिए
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उद्देश्य का सिद्धान्त - उद्देश्य के बिना संगठन का निर्माण नहीं किया जा सकता है, अतः संगठन के प्रत्येक भाग का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए। संगठन में कार्यरत सभी व्यक्तियों को संगठन के उद्देश्य स्पष्ट होने चाहिए। उद्देश्य निश्चित न होने पर मानव एवं मानव सामग्री का कुशल एवं प्रभावी उपयोग नहीं किया जा सकता है।
(2) समन्वय का सिद्धान्त - समन्वय (coordination) संगठन के समस्त सिद्धान्तों को अभिव्यक्त करता है। संगठन का उद्देश्य ही उपक्रम के विभिन्न विभागों पर किये जाने वाले कार्य में समन्वय स्थापित करता है।
(3) विशिष्टीकरण का सिद्धान्त - व्यक्ति की इच्छा एवं कार्य क्षमता के अनुसार ही कार्य सौंपा जाना चाहिए जिसको करने में वह सक्षम है। तो वह उस कार्य में दक्षता प्राप्त करता है। इस सिद्धान्त के पालन से विभागों एवं कर्मचारियों की कार्य क्षमता में भी वृद्धि होती है।
(4) अधिकार का सिद्धान्त - सर्वोच्च सत्ता से अधिकारों के हस्तान्तरण के लिए पद-श्रेणीक्रम (hierarchy) का निश्चित निर्धारण होना चाहिए। प्रत्येक कार्य के संबंध में अधिकारों का उचित निर्धारण किया जाना चाहिए।
(5) उत्तरदायित्व का सिद्धान्त - अधिकार एवं दायित्व साथ-साथ होने चाहिए। अधीनस्थ कर्मचारियों के द्वारा किये गये कार्यों के लिए उच्च अधिकारियों का पूर्ण दायित्व होता है।
(6) व्याख्या का सिद्धान्त - प्रत्येक संगठन में हर एक की स्थिति लिखित में स्पष्टतः निर्धारित की जानी चाहिए। प्रत्येक कर्मचारी के कर्तव्य, दायित्व, अधिकार व संबंधों की स्पष्ट व्याख्या की जानी चाहिए।
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