Hindi, asked by amitkr21000k, 7 months ago

सघन कुंज छाया सुखद, सीतल मंद समीर।
मन है जात अजौं बहै, वा जमुना के तीर।।३।। arth sathit​

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Answered by shukladivya151
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Answered by shishir303
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सघन कुंज छाया सुखद, सीतल मंद समीर।

मन है जात अजौं बहै, वा जमुना के तीर।।३।।

भावार्थ :  कवि बिहारी कहते हैं कि जहाँ के वृक्ष बेहद घने हैं, जहाँ की छाया बेहद सुख देने वाली है। जहाँ की हवा ठंडी और सुगंधित है। उस यमुना के तट पर जाते ही मेरा मन बिल्कुल वैसा प्रफुल्लित हो जाता है और कृष्ण कृष्ण के प्रेम में उसी प्रकार मगन हो जाता है। जैसा मोहक वातावरण वहाँ का है।

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