सहानजूती दरशने के लीए किस महा पुरुष का
उदारण दिया गया है ? सहानबूती पर कोनसा
विचार परिछेद आया है।
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महापुरुषों का जीवन दुनिया के लिए प्रेरणादायी होता है, मगर उनमें अधिकांश का बचपन काफी तकलीफों, अभावों और तात्कालिक समाज में फैली अमानवीय कुरीतियों से जूझने वाला रहा है। मानव समाज में फैली अमानवीय कुरीतियों का गवाह सिर्फ भारत ही नहीं रहा है बल्कि दुनिया भर के देशों में भी ऐसी प्रथाएं मौजूद रही हैं, जिन्होंने इंसानियत को शर्मसार किया है। रंग, जाति, लिंग, भाषा के नाम पर सदियों से कमजारों पर अत्याचार होता आया है। लोगों ने सालों तक इन अत्याचारों को बर्दाश्त किया, सैकड़ों इसकी बलि भी चढे़ लेकिन कुछ ही इन अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठा पाएं और समाज को जागरूक करने और इन कुरीतियों को खत्म कर इन प्रथाओं को बदलने का असंभव काम कर पाए।
ऐसे ही बुद्धिजीवियों, लेखकों, समाज सुधारकों और मार्गदर्शकों के बपचन की कहानियां है 'महापुरुषों का बचपन' जिसे लिखा है मोहनदास नैमिशराय ने। मार्टिन लूथर किंग, अब्राहम लिंकन, नेल्सन मंडेला और मदर टेरेसा सहित किताब में कुल 20 महान हस्तियों के बचपन को समटेने की कोशिश की गई है, जिन्होंने समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना किया लेकिन समाज की भलाई के लिए इस पर डटे रहे।