५. सही शीर्षक देते हुए भावार्थ स्पष्ट कीजिए -
चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए.
विपत्ति-विघ्न जो पड़े, उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेल-मेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पन्थ के सतर्क पान्थ हो सभी।
यही समर्थ भाव है, कि तारता हुआ तरे,
वही मनुष्य है, कि जो मनुष्य के लिए मरे ।
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wahi manusya hai jo manusya ke liye mare
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