सही विकल्प चुनिए: (i) कौनसा ग्रंथ त्रिशतिका के नाम से प्रसिद्ध है ? (अ) वृहत्संहिता (ब) गणित सार (स) गणित कौमुदी (द) महासिद्धांत
Answers
सही उत्तर है...
➲ (ब) गणित सार
✎... श्रीधराचार्य द्वारा रचित ग्रंथ गणित सार त्रिशतिका के नाम से प्रसिद्ध है। श्रीधराचार्य भारत के एक प्राचीन महान गणितज्ञ थे। उन्होंने 750 ईसवी के आसपास लगभग 3 प्रसिद्ध ग्रंथों की रचना की थी। इसमें त्रिशतिका, पाटीगणित और पाटीगणित सार के नाम प्रमुख हैं। उन्हें शून्य की व्याख्या करने के लिए भी जाना जाता है। वर्गात्मक समीकरण को पूर्ण वर्ग बनाकर हल करने का उनके द्वारा प्रतिपादित किया गया ‘श्रीधर नियम’ आज भी प्रचलित है, जिसे आज हिंदू नियम के नाम से जाना जाता है। उन्होंने पाटी गणित, पाटी गणित सार और त्रिशतिका तीन ग्रंथों की रचनाएं की।
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उतर :- (ब) गणित सार l
व्याख्या :-
- त्रिशतिका (गणित सार) की रचना प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ श्रीधराचार्य ने की थी l
- उनके द्वारा लिखे गए प्रमुख ग्रंथ है :- पाटीगणितसार , पाटीगणित , गणितसार , गणितपञ्चविंशिका , नवशतिका , जातक पद्धति तथा रत्नमाला l
गणित के क्षेत्र में श्रीधराचार्य का योगदान :-
- उन्होंने शून्य की सर्वाधिक स्पष्ट व्याख्या की l { a + 0 = a , a - 0 = a , a * 0 = a. }
- समांतर श्रेणी में n पद ज्ञात करने का सूत्र l { Tn = a + (n - 1)d . }
- द्विघात समीकरण को हल करने की विधि l {-b ± √(b2-4ac)}/2a = इसे श्रीधराचार्य सूत्र भी कहा जाता है l
- किसी संख्या को भिन्न द्वारा विभाजित करने के लिये उस संख्या में उस भिन्न के व्युत्क्रम (reciprocal) से गुणा कर देना चाहिये । {1 ÷ (a/b) = 1 * (b/a) .}
अतरिक्त जानकारी :-
- वृहत्संहिता = वाराहमिहिर द्वारा लिखित ग्रंथ है l
- गणित कौमुदी = नारायण पण्डित द्वारा लिखित ग्रंथ है l
- महासिद्धांत = आर्यभट द्वितीय द्वारा लिखित ग्रंथ है l
यह भी देखें :-
5 गणित के निम्नलिखित प्रतीकों के अर्थ उदाहरण सहित लिखिए
(i) √
(ii) >
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