Hindi, asked by psangeerthgeniu97151, 1 year ago

Sahab, pure seher ki suraksha ka sawal tha mai vidheya

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Answered by goldi38
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उत्तर : बड़े भाई साहब ने किताबी ज्ञान से अधिक महत्त्वपूर्ण ज़िन्दगी के अनुभव को कहा है क्योंकि जानकारियाँ रख लेना एक बात है और ज़िन्दगी को सुचारू रूप से व्यतीत करना दूसरी बात | उनके अनुसार जीवन की सही समझ अनुभव से ही विकसित होती है | किताबें केवल ज्ञान पाने का माध्यम हैं जबकि अनुभव व्यावहारिक ज्ञान देता है जिसकी कदम-कदम पर आवश्यकता होती है| संकट के समय बिना घबराये स्थिर-बुद्धि से उसका सामना करना और सही निर्णय लेना , किताबों से नहीं अपितु अनुभव से सीखा जा सकता है | बड़े भाई साहब अपने दादा का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि उन्होंने बड़े कम पैसों में बहुत सम्मान और नेकनामी से अपने कुटुम्ब का पालन किया | हैडमास्टर साहब की अनपढ़ माँ में भी वे गुण थे जो ऑक्सफ़ोर्ड से शिक्षित हैडमास्टर साहब में नहीं थे | इसी कारण बड़े भाई साहब का यह दृढ़ विश्वास था कि समझ अनुभवों से आती है, किताबें पढ़ने से नहीं | सही और गलत का अंतर विवेक से आता है जो किताबों से प्राप्त नहीं होता |

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