सहलग्नता के विभिन्न प्रकारों को समझाइए।
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जीवविज्ञान में लिंग (Sex, Gender) से तात्पर्य उन पहचानों या लक्षणों से जिनके द्वारा जीवजगत् में नर को मादा से पृथक् पहचाना जाता है। जंतुओं में असंख्य जंतु ऐसे होते हैं जिन्हें केवल बाह्य चिह्नों से ही नर, या मादा नहीं कहा जा सकता। नर तथा मादा का निर्णय दो प्रकार के चिह्नों, प्राथमिक (primary) और गौण (secondary) लैंगिक लक्षणों (sexual characters), द्वारा किया जाता है। वानस्पतिक जगत् में नर तथा मादा का भेद, विकसित प्राणियों की भाँति, पृथक्-पृथक् नहीं पाया जाता। जो की सत्य है।
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एक ही गुणसूत्र पर स्थित जीनों में एक साथ वंशगत होने की परवर्ती पायी जाती है जीनों की इस परवर्ती को “सहलग्नता” (linkage) कहते हैं. जबकि जीन जो एक ही गुणसूत्र पर स्थापित होते हैं और एक साथ वंशानुगत होते हैं, उन्हें सहलग्न जिन (Linked genes) कहते हैं. सहलग्नता की खोज बैटेसन ने की थी. लिंग सहलग्न जीन ( linked genes) लिंग-सहलग्नता गुणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाते हैं क्योंकि इसका प्रभाव नर तथा मादा दोनों पर पड़ता है. लिंग-सहलग्नता की सर्वप्रथम विस्त्रत व्याख्या मॉर्गन ने 1910 में की थी. मनुष्यों में कई लिंग-सहलग्नता गुण जैसे- रंगवर्णान्धता, गंजापन, हिमोफिलिया, मायोपिया, आदि पाये जाते हैं. लिंग-सहलग्नता गुण स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में ज्यादा प्रकट होते हैं.