सहलग्नता क्या है तथा कितने प्रकार की होती है
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एक ही गुणसूत्र पर स्थित जीनों में एक साथ वंशगत होने की परवर्ती पायी जाती है जीनों की इस परवर्ती को “सहलग्नता” (linkage) कहते हैं. जबकि जीन जो एक ही गुणसूत्र पर स्थापित होते हैं और एक साथ वंशानुगत होते हैं, उन्हें सहलग्न जिन (Linked genes) कहते हैं. सहलग्नता की खोज बैटेसन ने की थी. लिंग सहलग्न जीन ( linked genes) लिंग-सहलग्नता गुणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाते हैं क्योंकि इसका प्रभाव नर तथा मादा दोनों पर पड़ता है. लिंग-सहलग्नता की सर्वप्रथम विस्त्रत व्याख्या मॉर्गन ने 1910 में की थी. मनुष्यों में कई लिंग-सहलग्नता गुण जैसे- रंगवर्णान्धता, गंजापन, हिमोफिलिया, मायोपिया, आदि पाये जाते हैं. लिंग-सहलग्नता गुण स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में ज्यादा प्रकट होते हैं.
सहलग्नता दो चरों के बीच संबंधों को स्थापित करने के लिए एक प्रक्रिया को संदर्भित करता है। यदि एक चर के मूल्य में परिवर्तन एक ही या विपरीत दिशा में अन्य चर में एक साथ परिवर्तन का कारण बनता है, तो इसे सहलग्नता कहा जाता है, या इन चरों को सहलग्नता कहा जाता है।
सहलग्नता के प्रकार
सहलग्नता के तीन प्रकार होते है -
(i) सकारात्मक सहलग्नता - जब दोनों चरों के मान एक ही दिशा में चलते हैं ताकि एक चर के मूल्य में वृद्धि/कमी के बाद अन्य चर के मूल्य में वृद्धि/कमी हो ।
(ii) नकारात्मक सहलग्नता - जब दो चरों के मान विपरीत दिशा में चलते हैं ताकि एक चर के मूल्य में वृद्धि/कमी के बाद अन्य चर के मूल्य में कमी/वृद्धि हो ।
(iii) कोई सहलग्नता नहीं - जब दो चरों के बीच कोई रैखिक निर्भरता या कोई संबंध नहीं होता है।