सहशिक्षा के लाभ तथा हानिया
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सहशिक्षा के लाभ :
सहशिक्षा के पक्ष में बोलने वाले लोगों के अनुसार सहशिक्षा के लाभ ही लाभ हैं। सहशिक्षा हमारे सामाजिक जीवन की प्रगति के लिए अत्यावश्यक है। सहशिक्षा से हमारे देश की अर्थ-व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। सहशिक्षा में लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग विद्यालयों की आवश्यकता नहीं होगी, इससे बचे हुए पैसे को दूसरे कामों में लगाया जा सकता है।
सहशिक्षा से छात्र-छात्राओं में परस्पर प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा होगी और इससे उनका बौद्धिक विकास भी होगा। दोनों वर्ग एक-दी आगे निकलने का प्रयास करेंगे। लड़के लड़कियाँ एक-दूसरे से झिझको, नहीं। इससे लड़कियों में व्यर्थ की लज्जा दूर होगी, जिससे पढ़ाई समाप्त होने पर वे नौकरी में लड़कों से बात करने पर शर्माएगी नहीं और लड़के पी लड़कियों के समक्ष अधिक संयम में रहना सीखेंगे। उन्हें नारी का सम्मान करते की प्रेरणा मिलेगी। जिससे आगे जाकर उनका वैवाहिक जीवन भी सफल होगा।
सहशिक्षा की हानियाँ :
सहशिक्षा के विरोधी मत वाले व्यक्तियों को इसमें कमियाँ ही कमियाँ प्रतीत होती हैं। उनके अनुसार सहशिक्षा से हमारी परम्पराओं तथा संस्कृति पर भीषण आघात हो रहा है। उनके अनुसार लड़के लड़कियों का विद्यालय विपरीत दिशाओं में होने चाहिए। सहशिक्षा प्राचीन’ काल की नहीं अपितु आधुनिक युग की देन है। सभी महापुरुषों ने इसका विरोध किया है। महात्मा कबीर तो नारी को सर्पिणी की भांति जहरीली तथा आग की भांति रौद्र-रूपा मानते थे।
सहशिक्षा के विरोधी मत वाले यह भी मानते हैं कि इससे लड़के-लड़कियों का चरित्र भ्रष्ट हो रहा है। आजकल विद्यार्थी विद्यालयों में पढ़ने नहीं, अपितु प्रेम करने जाते हैं। वे विपरीत लिंग में अधिक रुचि लेते है और इसीलिए अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं।
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