सहता प्रहार कोई विवश, कदर्य जीव
जिसकी नसों में नहीं पौरुष की धार है।
करुणा, क्षमा हैं वीर जाति के कलंक घोर
क्षमता क्षमा की शूरवीरों का शृंगार है।
प्रतिशोध से हैं होती शौर्य की शिखाएँ दीप्त
प्रतिशोध हीनता नरों में महापाप है,
छोड प्रीति-वैर पीते मक अपमान वे ही
जिनमें न शेष शरता का वहिन-ताप है।
जेता के विभूषण सहिष्णुता-क्षमा है किंतु
हारी हई जाति की सहिष्णता अभिशाप है।
सेना साजहीन है परस्व हरने की वति
लोभ की लड़ाई क्षात्र धर्म के विरुदध है।
चोट खा परंतु जब सिंह उठता है जाग
उठता कराल प्रतिशोध हो प्रबुद्ध है।
पुण्य खिलता है चंद्रहास की विभा में तब
पौरुष की जागृति कहाती धर्मयुद्ध है।
क्षमा कब कलंक और कब शृंगार हो जाती है?
1. प्रतिशोध किसे कहते हैं? वह कब आवश्यक होता है?
iii. सहिष्णुता को विभूषण और अभिशाप दोनों क्यों माना गया?
iv. कैसा युद्ध धर्म के विरुद्ध माना गया है?
v. भाव स्पष्ट कीजिए 'पौरुष की जागृति कहाती धर्मयुद्ध है।
।
Answers
(i) क्षमा कब कलंक और कब शृंगार हो जाती है?
► जिस पुरुष में वीरता नहीं उसकी क्षमा कलंक है, शूरवीरों की क्षमा श्रृंगार है।
(ii) प्रतिशोध किसे कहते हैं? वह कब आवश्यक होता है?
► अपने अपमान का बदला लेने को प्रतिशोध कहते हैं। जब कोई हम पर अत्यातर करे हमारा अपमान करे।
(ii) सहिष्णुता को विभूषण और अभिशाप दोनों क्यों माना गया?
► जो भी विजेता है, उसके लिए सहिष्णुता विभूषण है और जो हारा हुआ है उसके लिए सहिष्णुता अभिशाप है।
(iv) कैसा युद्ध धर्म के विरुद्ध माना गया है?
►अपने लोभ लालच के लिए की गई लड़ाई धर्म के विरुद्ध है।
(v) भाव स्पष्ट कीजिए 'पौरुष की जागृति कहाती धर्मयुद्ध है।
► इन पंक्तियों का आशय यह है कि जब मनुष्य के अंदर का पुरुष जाग उठता है तब अपने आत्मसम्मान के लिए किया गया युद्ध धर्म युद्ध कहलाता है।
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○
Answer:
hope you have like it gives me a heart mark me in the bracelets