sahid vir narayn Sinha ka jivan Parichay likhiye aven vunke dwara kiye gay karw ka vistar se warnan kigiye
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सोनाखान के सोन- शहीद वीर नारायण सिंह
शहीद बीर नारायणसिंह ह छत्तीसगढ़ के पहिली शहीद आय। सन् 1857 म अत्याचारी अंग्रेज मन बीर नारायण सिंह ल फांसी दे दे रिहिन हे।शहीद बीर नारायणसिंह ह छत्तीसगढ़ के पहिली शहीद आय। सन् 1857 म अत्याचारी अंग्रेज मन बीर नारायण सिंह ल फांसी दे दे रिहिन हे। ओखर अपराध अतके रिहिस के सन् 1856 के भयंकर दुकाल के समे वो ह अपन जमींदारी के भूख से तड़फत जनता बर एक झन बैपारी के अनाज गोदाम के तारा टोर के उहां भराय अनाज ल जनता म बांट दे रिहिस। अतके नहीं, ये बात के जानकारी लगे हाथ वो समे के रइपुर के डिप्टी कमिश्नर ल घलो पठो दे रिहिस के ये काम वोला भूख म तड़फत जनता के भूख मिटाय खातिर करना परिस। फेर अंगरेज कमिश्नर ल ओखर मानवता अउ ईमानदारी नई भाइस। वोला तो जमाखोर बैपारी के सिकायत म नारायण सिंह ऊपर कार्रवाई करना पसंद आइस अउ इही बात म डिप्टी कमिश्नर ह बीर नारायण सिंह बर गिरफ्तारी वारंट निकाल दिस। वो अत्याचारी डिप्टी कमिश्नर के नांव एलियट (चार्ल्स इलियट) रिहिस। तेखरे पाय के कतको झिन जुन्ना छत्तीसगढ़िया मइनखे के इलियट नांव घलो सुने म मिल जाथे। खैर, हमला नामकरन म धियान नइ दे के शहीद बीर नारायण सिंह के किस्सा कोती धियान देना हे।
तो ये शहीद बीर नारायण सिंह के जन्म सोनाखान के जमींदार रामराय बिंझवार राजपूत के घर सन् 1795 ई. के कोनो तारीख म होय रिहिस। तारीख के पक्का जानकारी नइ मिलय। अपन बाप के इंतकाल के बाद 35 बछर के उमर म नारायण सिंह सोनाखान के जमींदार बनिस। उन बड़ धार्मिक, गियानी, मिलनसार अउ परोपकारी प्रवृत्ति के रहिन। एखरे संगे-संग उंखर म धीरज, साहस अउ प्रजापालक के गुन घलो लबालब भरे रिहिस। वो सिरतोन सोनाखान के सांन रिहिस। वो ह निच्चट सादा जीवन बिताय। वो ह महल अटारी म नहि भलुक माटी अउ बांस के बने कच्चा मकान म रहाय अउ अपन परजा के तकलीफ दूर करे म हरदम तियार राहय। सोनाखान के राजा सागर, रानी सागर अउ नंद सागर तालाब आजो ओखर जन कल्याणकारी सोच