sahitya me kabir ka yogdan
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अनेक साधुओं के सत्संग में कबीर ने ज्ञानार्जन किया। इन में नाथ-सिद्ध परंपरा के जोगी भी थे, वैष्णव साधु भी और सूफी फकीर भी। इसी क्रम में कबीर प्रसिद्ध सूफी शेख तकी से भी मिले जिन्हें कबीर के मुसलमान अनुयायी इनका गुरु मानते हैं। परंतु कबीर ने शेख तकी का नाम कहीं भी उस श्रद्धा से नहीं लिया जिससे स्वामी रामानंद का लिया है या जिस से गुरु का लिया जाता है। इन सबके विचारों का कबीर पर सम्यक प्रभाव पड़ा और उनके ’राम’ स्वामी रामानंद के साकार राम न रहकर ब्रह्म का प्रतीक हो गये।
दसरथ सुत तिहुँ लोक बखाना।
राम नाम का मरम है आना।।
सूर समाना चंद में, दहूँ किया घर एक।
मन का चिंता तब भया कछू पुरबिला लेख।।
है कोई गुरुज्ञानी जगत मँह उलटि बेद बूझै।
पानी मँह पावक बरै, अंधहि आँखिन्ह सूझै।।
बकरी पाती खाति है, ताकी काढ़ी खाल।
जो नर बकरी खात हैं, तिनका कौन हवाल।।
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Explanation:
कबीर दास की जीवनी भारत के महान संत और आध्यात्मिक कवि कबीर दास का जन्म वर्ष 1440 में और मृत्यु वर्ष 1518 में हुई थी। इस्लाम के अनुसार 'कबीर' का अर्थ महान होता है। कबीर पंथ एक विशाल धार्मिक समुदाय है जिन्होंने संत आसन संप्रदाय के उत्पन्न कर्ता के रुप में कबीर को बताया। please