Hindi, asked by itsmesg2006, 9 months ago

sahitya sagar
नेताजी का चश्मा स्वयं प्रकाश [Netaji ka chashma- Swyam prakash]
i) प्रस्तुत कथन में नेताजी का ओरिजिनल चश्मा से क्या तात्पर्य है?
ii) मूर्तिकार कौन था और उसने मूर्ति का चश्मा क्यों नहीं बनाया था?
ii) सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
iv) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?​

Answers

Answered by revkori20
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Answer:निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है,बल्कि उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।

हालदार साहब कब और कहाँ-से क्यों गुजरते थे?

उत्तर:

हालदार साहब हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में एक कस्बे से गुजरते थे। जहाँ बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी की मूर्ति लगी थी।

प्रश्न क-ii:

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है, बल्कि उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।

कस्बे का वर्णन कीजिए।

Answered by gourav3231
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Explanation:

प्रस्तुत कथन में नेताजी का ओरिजिनल चश्मा से यह तात्पर्य है कि मूर्तिकार नेताजी के मूर्ति पर चश्मा लगाना भूल गया था इसलिए कैप्टन जो की एक चश्मावाला था वह नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगा देता था अगर किसी को चश्मा पसंद आ जाता तो वह उसे बेच देता और मूर्ति पर दूसरा चश्मा लगा देता।

2. मूर्तिकार हाई स्कूल के इकलौते ड्रॉईंग टीचर थे जिन्हें ऑर्डर मिला था कि एक महीना में वो मूर्ति बनाकर तैयार करना है इसलिए उन्होंने जल्दीबाजी में वो मूर्ति तैयार तो कर लिया पर चश्मा लगाना भूल गए।

3.सेनानी ना होते हुए लोग चश्मेवाले को कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि जिस तरह की देशभक्ति की भावना उसमे थी वैसी भावना पानवाले तथा अन्य किसी व्यक्ति में नहीं थी।

4.मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा कैप्टन के प्रति देशभक्ति की उम्मीद जगाता है।

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