Sahitya to vahi hai Jo Sahitya Ki Maryada Ka Palan Karen
Answers
Answered by
0
Answer:
साहित्य मनुष्य की सृष्टि है; इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं, हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य तो मनुष्य के सामने जवाबदेह है।
Similar questions
Science,
17 days ago
Math,
17 days ago
Math,
1 month ago
India Languages,
1 month ago
Math,
9 months ago