Hindi, asked by Papa4328, 1 month ago

Sahitya to vahi hai Jo Sahitya Ki Maryada Ka Palan Karen

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Answered by ajindal1819gmailcom
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Answer:

साहित्य मनुष्य की सृष्टि है; इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं, हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य तो मनुष्य के सामने जवाबदेह है।

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