Hindi, asked by lavan15, 10 months ago

saiji makino ke anusar japani aru hindi sahity me kya samanta hitiys me samanta​

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Answered by shishir303
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साइजी मकिनो के अनुसार जापानी और हिंदी साहित्य में क्या समानता है?

उत्तर —

साइजी मकिनो एक जापानी प्रवासी थे जो 36 साल की आयु में  सन् 1959 में जापान से भारत गांधी जी द्वारा स्थापित वर्धा स्थित सेवाग्राम आश्रम में पशु चिकित्सक के रूप में आये थे। वो सेवाग्राम में आकर भारत से ऐसे जुड़े कि वो हमेशा के लिये भारत के ही होकर रह गये। उन्होंने भारतीय संस्कृति को पूरी तरह अपना लिया। संत विनोबा भावे की सलाह पर उन्होंने हिंदी भाषा सीखी और शीघ्र ही उसमें महारत हासिल कर ली।

साइजो मकिनो ने अनुसार जापानी और हिंदी साहित्य में बहुत समानता है। उनके अनुसार दोनों भाषाओं का लोक साहित्य लगभग समान है। मणिपुर और राजस्थान की जो लोक कथाएँ हैं वो जापान की लोककथाओं से बहुत मिलती हैं। साइजी मकिनो ने इसका कारण ये बताया कि जापान की संस्कृति भारत और चीन की संस्कृति का मिश्रण है। इस कारण जापानी साहित्य पर भारत की बहुत छाप दिखायी देती है, और जापानी साहित्य हिंदी साहित्य से काफी मिलता-जुलता है। साइजी मकिनो को हिंदी भाषा से बहुत प्रेम था।

Answered by tajkhatoon0786
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Answer:

uuiii

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