Saiji makino visit to bharat
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समय समय पर विभिन्न देशों के नागरिक भारत की संस्कृति और परंपरा से आकर्षित होकर यहां पर्यटन के लिए आते हैं, तो कुछ यहां व्यावसायिक सम्बन्धों के चलते आते हैं। साईजी मकिनो भी एक पशु चिकित्सक के रूप में भारत आए थे, भारत की संस्कृति और आबोहवा उन्हें ऐसी रास आई कि सदा के लिए वे यहीं के होकर रह गए।
हिंदी साहित्य से उनका नाता ऐसा जुड़ा कि उन्होंने सदा के लिए हिंदी भाषा के सेवक बनकर अपना जीवन इसकी समृद्धि के प्रयासों में समर्पित कर दिया।
सन 1958 में सेवाग्राम में उन्होंने पशु चिकित्सक के रूप में भारत में अपना जीवन शुरू किया। फुजेई गुरु जी के बुलावे पर वे भारत आए थे। उन्होंने लेखक, भ्रमणकारी, दुभाषिए और डॉक्टर के रूप में अपनी भूमिकाएं निभाते हुए भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रवास किया और अपनी इस जीवनयात्रा का वर्णन उन्होंने 'भारत में 45 साल, मेरी हिंदी यात्रा' में बहुत ही सुंदर ढंग से किया है।
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Sai ji maqino kis San me Bharat aaye