saina kai giwan sai kya prainna milti hai
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सना अिधिनयम, े 1950
(1950 का अिधिनयम सख्या ं क ं 46)
[20 मई, 1950]
िनयिमत सना क े े शासन स सम्बिन्धत िविध का सम े कन े
और सशोधन करन ं के े िलए
अिधिनयम
संसद ᳇ारा िनम् ् निलिखत रूप मᱶ यह अिधिनयिमत हो :—
अध्याय 1
पर्ारिम्भक
1. संिक्षप् त नाम और पर्ारम्भ—(1) यह अिधिनयम सेना अिधिनयम, 1950 कहा जा सकेगा ।
(2) यह उस तारीख1 को पर्वृᱫ होगा िजसे केन्दर्ीय सरकार, शासकीय राजपतर् मᱶ अिधसूचना ᳇ारा, इस िनिमᱫ िनयत करे ।
2. इस अिधिनयम के अध्यधीन ᳞िक् त—(1) िनम् निलिखत ᳞िक् त, अथार्त् :—
(क) िनयिमत सना क े े आिफसर, किनष् ठ आयुक् त आिफसर और वारण्ट आिफसर,
(ख) इस अिधिनयम के अधीन अभ्यावेिशत िकए गए ᳞िक् त, (ग) भारतीय िरजवर् बल के ᳞िक् त,
(घ) भारतीय अनूपूरक िरजवर् बल के ᳞िक् त, जब वे सेवा के िलए आहूत िकए गए हᲂ या जब वे वािषक परीक्षण मᱶ
लगे हुए हᲂ,
(ङ) पर्ादिशक स े ेना के आिफसर, जब वे ऐसे आिफसरᲂ की हिसयत म ै ᱶ कतर्᳞ कर रह हो और उक् ᱶ त सेना मᱶ
अभ्यावेिशत ᳞िक् त जब वे आहूत िकए गए हᲂ या िनकायकृत हᲂ या िकन्हᱭ िनयिमत बलᲂ से सलग् ं न हᲂ, ऐसे अनुकूलनᲂ और
उपान्तरᲂ के अध्यधीन जो ऐसे ᳞िक् तयᲂ पर इस अिधिनयम को पर्ादिशक स े ेना अिधिनयम, 1948 (1948 का 56) की धारा 9
की उपधारा (1) के अधीन लागू करने मᱶ िकए जाएं,
(च) भारत मᱶ के सेना-आिफसर-िरजवर् मᱶ आयोग धारण करने वाले ᳞िक् त, जब उन्ह िकसी ऐस ᱶ े कतर्᳞ या ऐसी
सेवा के िलए आदश िमला हो िजसका उन पर दाियत्व ऐस े े िरजवर् बलᲂ के सदस्य होने के नाते ह, ै
(छ) भारतीय िनयिमत आिफसर-िरजवर् मᱶ िनयुक् त आिफसर, जब उन्ह िकसी ऐस ᱶ े कतर्᳞ या ऐसी सेवा के िलए
आदश िमला हो िजसका उन पर दाियत्व ऐस े े िरजवर् बलᲂ के सदस्य होने के नाते है,
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* * * *
(झ) सैिनक िविध के अध्यधीन अन्यथा न आने वाले ᳞िक् त जो सिकर्या सेवा पर, कैम्प मᱶ, पर्गमन पर या केन्दर्ीय
सरकार ᳇ारा इस िनिमᱫ अिधसूचना ᳇ारा िविनिदष् ट िकसी सीमान्त चौकी पर, िनयिमत सेना के िकसी पर्भाग ᳇ारा
िनयोिजत हᲂ, या उसकी सेवा मᱶ हᲂ, या उसके अनुचारी हᲂ, या उसके साथ चलते हᲂ,
वे जहां कहᱭ भी हᲂ इस अिधिनयम के अध्यधीन हᲂगे ।
(2) हर ᳞िक् त जो उपधारा (1) के खण्ड (क) से 3[(छ)] तक के अधीन इस अिधिनयम के अध्यधीन ह तब तक जब तक वह ै
सेवा से सम्यक् रूप से िनवृᱫ, उन्मोिचत, िनमुर्क् त, पदच् युत न कर िदया जाए या हटा न िदया जाए या सकलंक पदच्युत न कर िदया
जाए, अध्यधीन बना रहगा । े
3. पिरभाषाएं—इस अिधिनयम मᱶ, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो,—
(i) “सिकर्या सेवा” से जब िक वह उस ᳞िक् त के सम्बन्ध मᱶ पर्युक् त है, जो इस अिधिनयम के अध्यधीन ह वह समय ै
अिभपर्ेत ह िजसक ै े दरान वह ᳞िक् ै त—
(क) ऐसे बल से संलग् न ह या उसका भाग ह ै जो शतर् ै ु के िवरु संिकर्याᲐ मᱶ लगा ह, अथवा ै
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22 जुलाई, 1950, दिखए अिधस े ूचना सं० का०िन०आ० 120, तारीख 22 जुलाई, 1950, भारत का राजपतर् (अंगर्ेजी), भाग 2, अनुभाग 4, पृष् ठ 86.
यह अिधिनयम 1962 के िविनयम सं० 12 की धारा 3 और अनुसूची ᳇ारा गोवा, दमण और दीव पर ; 1963 के िविनयम सं० 6 की धारा 2 और अनुसूची 1
᳇ारा दादरा और नागर हवेली पर और 1963 के िविनयम सं० 7 की धारा 3 और अनुसूची 1 ᳇ारा पांिडचेरी पर िवस्तािरत िकया गया । 2 िविध अनुकूलन (सं० 3) आदश, े 1956 ᳇ारा खण्ड (ज) का लोप िकया गया । 3 िविध अनुकूलन (सं० 3) आदश, े 1956 ᳇ारा खण्ड “(ज)” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।