Science, asked by nanditas810, 3 months ago

सजीव ट्रीटमेंट प्लीज किस प्रकार उपयोगी है​

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Answered by krishavkumar
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पोषण: हर सजीव को जिंदा रहने के लिए भोजन की जरूरत होती है। भोजन से उन्हें ऊर्जा मिलती है। भोजन से वृद्धि और मरम्मत के लिए जरूरी पदार्थ भी मिलते हैं।

वृद्धि: सजीव में वृद्धि होती है। एक नया पौधा बड़ा होकर पेड़ बन जाता है। एक बच्चा बड़ा होकर वयस्क बन जाता है।

श्वसन: सजीव श्वसन करते है। श्वसन के दौरान हम बाहर की हवा शरीर के अंदर लेते हैं, और शरीर के अंदर की हवा को बाहर छोड़ देते हैं। इस हवा के इस्तेमाल से शरीर के अंदर भोजन से ऊर्जा प्राप्त की जाती है।

श्वसन के दौरान ऑक्सीजन गैस शरीर के भीतर जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर के बाहर किया जाता है। अलग-अलग जंतुओं में गैसों के आदान प्रदान के लिये अलग अलग अंग होते हैं।

श्वसन के दौरान ऑक्सीजन गैस शरीर के भीतर जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर के बाहर किया जाता है। अलग-अलग जंतुओं में गैसों के आदान प्रदान के लिये अलग अलग अंग होते हैं।ज्यादातर स्थलीय जंतुओं में सांस लेने के लिए फेंफड़े होते हैं। जैसे मनुष्य, पक्षी, सर्प, मगरमच्छ, आदि।

श्वसन के दौरान ऑक्सीजन गैस शरीर के भीतर जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर के बाहर किया जाता है। अलग-अलग जंतुओं में गैसों के आदान प्रदान के लिये अलग अलग अंग होते हैं।ज्यादातर स्थलीय जंतुओं में सांस लेने के लिए फेंफड़े होते हैं। जैसे मनुष्य, पक्षी, सर्प, मगरमच्छ, आदि।केंचुए में त्वचा से होकर गैसों का आदान प्रदान होता है। आप कह सकते हैं कि केंचुए अपनी गीली त्वचा से सांस लेते हैं।

श्वसन के दौरान ऑक्सीजन गैस शरीर के भीतर जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर के बाहर किया जाता है। अलग-अलग जंतुओं में गैसों के आदान प्रदान के लिये अलग अलग अंग होते हैं।ज्यादातर स्थलीय जंतुओं में सांस लेने के लिए फेंफड़े होते हैं। जैसे मनुष्य, पक्षी, सर्प, मगरमच्छ, आदि।केंचुए में त्वचा से होकर गैसों का आदान प्रदान होता है। आप कह सकते हैं कि केंचुए अपनी गीली त्वचा से सांस लेते हैं।मछलियों में गिल होते हैं जिनसे वे पानी में विलीन ऑक्सीजन को अवशोषित कर लेती हैं।

श्वसन के दौरान ऑक्सीजन गैस शरीर के भीतर जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर के बाहर किया जाता है। अलग-अलग जंतुओं में गैसों के आदान प्रदान के लिये अलग अलग अंग होते हैं।ज्यादातर स्थलीय जंतुओं में सांस लेने के लिए फेंफड़े होते हैं। जैसे मनुष्य, पक्षी, सर्प, मगरमच्छ, आदि।केंचुए में त्वचा से होकर गैसों का आदान प्रदान होता है। आप कह सकते हैं कि केंचुए अपनी गीली त्वचा से सांस लेते हैं।मछलियों में गिल होते हैं जिनसे वे पानी में विलीन ऑक्सीजन को अवशोषित कर लेती हैं।मेंढ़क जब पानी में रहता है तो त्वचा से सांस लेता है। मेढ़क जब जमीन पर रहता है तो फेफड़े से सांस लेता है।

श्वसन के दौरान ऑक्सीजन गैस शरीर के भीतर जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर के बाहर किया जाता है। अलग-अलग जंतुओं में गैसों के आदान प्रदान के लिये अलग अलग अंग होते हैं।ज्यादातर स्थलीय जंतुओं में सांस लेने के लिए फेंफड़े होते हैं। जैसे मनुष्य, पक्षी, सर्प, मगरमच्छ, आदि।केंचुए में त्वचा से होकर गैसों का आदान प्रदान होता है। आप कह सकते हैं कि केंचुए अपनी गीली त्वचा से सांस लेते हैं।मछलियों में गिल होते हैं जिनसे वे पानी में विलीन ऑक्सीजन को अवशोषित कर लेती हैं।मेंढ़क जब पानी में रहता है तो त्वचा से सांस लेता है। मेढ़क जब जमीन पर रहता है तो फेफड़े से सांस लेता है।डॉल्फिन और व्हेल जैसे जलीय जीव फेफड़े से सांस लेते हैं। ये जीव पानी के भीतर काफी देर तक बिना सांस लिये रह सकते हैं। ये सांस लेने के लिए पानी की सतह पर आते हैं।

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