सजीवन मयंक कवि परिचय
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सजीवन मयंक
शिक्षा : एम. एस सी.(रसायन) हिन्दी संस्कृत विशारद ।
संप्रति : शा.उत्कृष्ठ उ.मा.शाला बाबई होशंगाबाद से 31-10-2005 कोप्राचार्य के पद से सेवानिवृत्त।वर्तमान में साहित्य सृजन एवं सामाजिक कार्य में संलग्न ।
प्रकाशन एवं लेखनः साठ के दशक से लेखन प्रारंभ। धर्मयुग, सारिका, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, कादम्बिनी, भारती, मधुमति, रंग-चकल्लस, इंगित, सरिता, मुक्ता, योजना, आरोग्य संदेश, एवं समाचार पत्रों में रचनाएँ प्रकाशित, आकाशवाणी इंदौर भोपाल से नियमित काव्यपाठ।
संकलन:
गाते चलें पढ़ाते चलें
उजाले की कसम
माटी चंदन है
फागुन आनें वाला है प्रकाशनाधीन ।
सम्मानः वर्ष 1962 में अखिल रंग भारतीय काव्य प्रतियोगिता में पुरस्कृत
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