सक्कर पानी में घुल गेया तो क्यू दिखता नहीं
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because it properly desolved
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शक्कर का अणु भी इसी प्रकार का अणु है। इसमें कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीज़न के परमाणु पाए जाते हैं (सूत्र C12 H22 O11) और ये सब आपस में सह-संयोजी बन्धनों से जुड़े होते हैं। सह-संयोजी बन्धन काफी मज़बूत बन्धन होते हैं। इन्हें आसानी से तोड़ा नहीं जा सकता। मगर शक्कर में एक और किस्म के बन्धन पाए जाते हैं। पूरे अणु में कुछ O-H समूह होते हैं। इनमें भी हाइड्रोजन वाला सिरा थोड़ा धनावेशित और ऑक्सीजन वाला सिरा थोड़ा ऋणावेशित होता है। लिहाज़ा, शक्कर के एक अणु के C-H समूह के क्त का किसी दूसरे अणु के ग्र् के साथ आकर्षण होता है और विभिन्न अणुओं के बीच हाइड्रोजन बन्धन बन जाते हैं। शक्कर को ठोस अवस्था में बनाए रखने में इन हाइड्रोजन बन्धनों की ही महत्वपूर्ण भूमिका है। शक्कर में हाइड्रोजन बन्धनों की औसत ऊर्जा 13 किलोजूल/प्रति मोल होती है।
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