सको न अपने बंधुओं के दुःख-सुख का ध्यान है,
सको न अपने पूर्वजों की कीर्ति का कुछ ज्ञान है,
सको न अपनी हीनता पर खेद, शोक महान है,
सको न खलता कभी संसार में अपमान है,
सको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान
नर नहीं नर-पशु निरा है और मृतक समान है।
-मैथिलीशरण गुप्त
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