सक्रिय प्रतिरक्षा तथा निष्क्रिय प्रतिरक्षा को स्पष्ट कीजिए। अथवा
HIV की रोगजनकता तथा एड्स परीक्षण लिखिए।
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दुनिया भर के वैज्ञानिक एड्स के बचाव का टीका तैयार करने में जुटे हैं। लेकिन नाकामी ही उनके हाथ लगी है वजह यह की एचआईवी एक बेहद चालाक और शातिर वायरस है। यह विषाणु आपने आप को तेजी से बदलता रहता है। अब वैज्ञानिकों ने ऐसी नई दवाएं खोज ली है जो एंटीरिटरो वायरल थेरेपी यानी एआरटी के साथ लेकर मरीज एक लम्बी और लगभग निरोग जिन्दगी जी सकता है। यह दवा एड्स को खत्म तो नहीं करेगी लेकिन वायरस के प्रकोप को कम या निष्क्रिय कर देगी और एड्स मरीज कई दशकों तक एक सामन्य जीवन जी सकेगा।
अस्सी के दशक का एक जमाना था जब एड्स की पहचान होने के दो साल के भीतर ही मरीज की मौत हो जाती थी। एड्स के विषाणुओं के खून में मिलते ही ये वायरस सबसे पहले इंसान लिंफेटिक सिस्टम पर हमला करता है। इसे जरा समझें।
ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस यानी एचआईवी सीधे तौर पर मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक सेल्स पर आक्रमण करता है। यह वायरस अपनी जीन को अजीबो गरीब ढंग से मानव कोशिकाओं में ढाल लेता है।
खास बात है कि यहां वह लंबे वक्त तक असक्रिय रह सकता है। यही वजह है कि कई एचआईवी पाजिटिव लोग इस वायरस को लेकर बरसों जिंदा रहते हैं। लेकिन जब यह वायरस सक्रिय होकर और वायरस पैदा करता है तो रोग प्रतिरोधी कोशिकाएं अपना काम सही तरीके से नहीं कर पातीं। नतीजतन शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है।
सबसे खतरनाक बात यह है कि एचआईवी एड्स का वायरस शरीर में जाने के बाद संक्रमित व्यक्ति के आनुवांशिक तत्वों से जुड़ जाता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी लगातार संक्रमण को बढ़ाता चला जाता है। एड्स का अब तक कोई इलाज नहीं, लेकिन सही समय पर बीमारी के पता चलने से मरीज को बचाया जा सकता है।